मास्टर गाइड टू आर0ए०एस० ऐक्सामीनेशान | Master Guide To R.a.s. Examination
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
444
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निबन्ध 9
साधारण प्रादमो भी सरकार के निर्माण में धपता श्रोगदात ইনা। प्रभी
तो इय्ने प्रजा का शासन, प्रजा के द्वारा द्सन एवं प्रजा से लिए दासन बहा
जता है। स्वतंत्रता भ्ौर समानता के सिद्धा्तो पर प्राध्वारित यह शासन
प्रणाली सभी झाधुतिऋ एवं प्रतचरोन प्रणालियों में सर्वश्रोष्ठ है क्योंकि इसमें
हर व्यक्ति को झपनी योग्यता बढ़ाने, घन कपाने हथा प्रन्य सभी देके ने
स्वतत्रतापूर्दंक उन्नति करते का भ्रधिकार दिया जाता है। दूसरी भोर
समानता का भविकार भी है जिसका प्र है सढको समान ध्वसर | सच्चे
प्रजातंत्र में किसी को यह रहने का भदसर नही मिलता कि उसे प्रपनी उध्रति
और বিদ্কা के लिए घवप्तर नही प्रदान किया गया)
सैकड़ों वर्षों को प्रशघीनता के पश्चात् भारतवर्ष पराधीतता को
वेदयो े भुक्त हुप। । इन 29 वर्षो मे देश में $ धार महा निर्वाचन हो चुके
है। जनता ने प्रपनी इच्छानुसार मत देकर सरकार के तिर्मोए मे पना
योगदान दिया है । इससे स्पष्ट होत। है कि धीरे-धोरें प्रजातत्र की जड़े' ध्रव॑
भारत में गहरी होती चली जा रही हैं। यदि इसमे बुछ्ध कमियां भी हैं तो
उसके पीछे कुछ कारण हैं। कालातर मे जब वे कमियां दूर हो जाएगी तो
प्रदातत्र कप सुन्दर स्वहूप तिश्तर कर स(मते श्रएगा ! समार में प्रिटैल के
प्रजादत्र को एक प्रादर्ण के रूप में माना जाता रहा है फयोकि दरिद्वन में
प्रजात॑त्र प्रणाली का क्रमिक एव स्वामादिरू विका टूुग्ना है। यहो का जन
मातेस इस सपूर्ो प्रक्रिया का साक्षी है। हमने भी इस प्रणाली को प्रन्य सभी
दासन प्रणालियों की तुलना में श्रेष्ठ जानश्र ही पपनाया है। इसलिए
হুম আপ धनना हुम सबक्षी मेतिक जिम्मेद।रों है। केवल प्रकार की
प्रालोबना करने े कोई छास परिणाम नहीं तिकसने वाला है। घरकार
भी तो हमने द्वी बनाई है। हममें से ही कुछ लोगों को चुनकर धपने
प्रतिनिधि छात्र भे हपने राज्य एवं केन्द्र की विधान समाप्रों में भेजा! है | ये
प्रतिनिधि ही देश के सन का सवालन करते हैं। इस तरह हम कह सकते
हैं कि सरकार के साव-साय जनता का प्री उत्तरदायित्व डिसी भी रूप में
कप रहीं है बल्कि भ्धिक ही है $ यदि लोद देश में प्रनुधातन बनाए शते
हवा भ्पने कत्तठ्यों को सही दंग से निभाएं तो देश में प्रजातंत्र को जड़े
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