खन्ना अभिनंदन ग्रंथ | Khanna Abhinandan Granth
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
762
श्रेणी :
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No Information available about डॉ मैथलीशरणजी - Dr. Maethlisharanji
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अभिननन््दन-प्रश्नस्ति.
खण्डन्दुवत्प्रतिदिन कचिताद्ध सोभा
` जाभात्ति पुप्टविविघाद्खसमूढसारा ॥ ६ ॥
विद्यायनोऽत्र गुरुतः समवाप्य ज्ञानम् ।
नानापरीक्षणवित्री धुरमावहन्तः।
कीतिं ब्रजन्ति सफलाइच भवन्ति लोके
अस्याइच शुम्त्रयशास. पटमावयन्ति ॥ ও |)
अस्या सगंविधौ प्रजापतिरभूत् “खन्ना हिरारार जी
अध्यक्ष प्रथम भुयो सुनिपुण रिक्षाप्रवन्यादिप् £
तेनेयं तनयासमा পিআললা स्धालिता खान्िता।
पुष्टि चात्मनिवेदेनेन गमिता कीनिं समारोपिता}! ८ ॥
तैस्तैरात्मगुणैरिमा स कृतवान् कि दुष्कर तद्गुणैः
तस्यैपां कृतिनः कृत्ति; सुमहती सत्कौनिविस्तारिणी ।
दिक्नाकार्यसुदक्षपण्डितजनेप्वार्मातनामा ब्रती
मान्य. सद्गुणमण्डितदच चिदुपा सभ्राटको मानद 1 डक |
वास्मी घै्यंदयाक्षमादमयुत- सच्छुल्कनिष्पादकः
साध्वी चास्य वयस्य दृत्तिरमिता भव्य सुहन्मण्डरूमू ॥
ईदुम्मणगणमण्डितेन विदुपा इुस्' यखशस्तन्वता 1
कालेज प्र तिपास्य तेन विधिवन्निर्गम्यते वार्धके 11 १०।।
महोत्सवेऽस्मिन्. खन्द तस्य निर्गतौ कृति व्यथाभिन्नसुखैस्तदीयवे ।
दुमे जयन्तीसमये समागते वदामि स्षाभ्यामभिनदन मुदा ।1१९।1
खन्ना जी' इह तिप्ठतात् वहुसमा ভুত सुहददिभवुत ।
नित्य धाम्नि हरेइच कीर्तेनपर- प्राप्नोतु झान्ति पराम्।
संस्था जीवतु ज्ञानयन्नततिभिर्वपानू बहूनू भास्वत॥।
एवदेखस्नम् दिद्ेतुचरितैकुं द्धि ब्रजत्वात्मजैं: 11१२।॥
कुछपते ![
भवते स्वस्ति.
वधत्ते
मवला कुटम् 1
सस्ये 1
जीव, जयं प्राप,
अस्माभिः
श्राव्यते _ प्रमु:
॥ इति दम् 1
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