धर्मरत्नप्रकरणम | Dharm Ratn Prakaranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
466
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ || गाथा विग्र पञाङ्क- गाथा विषयः ঘসা
(| यश्वतुथंभेदस्वरूपम् व नः ६३ संसार इति तु्यभेदखरूपम् ১০, ४७
| | तदुपरि संम्रतिमहाराजनिदरनम् .... ४१ | ६४ विषय इति पश्चमभेदस्वरूपम् ১ শপ
€ ५२ पछ्ठे पड्िधप्रवचनकुशलछोपदशेनम् .... ४३ । ६५ आरम्भ इति प्ठभेदस्वरूषम् .... ४८
९ ३-५४ सूत्र १ अर्थ २ उत्सग ३ अपवाद ४ भाव 1 ६६ गेह इति सप्तमभेदस्वरूपम् .... ४८
| ५ व्यवहार ६ रूपषड़िधकुशलस्य स्वरूप | ६७ दशनमित्यष्टमभेदस्वरूपम् |
निरूपणम् ... + উই ६८ गङ्ख रिकाप्रवाह इति नवमभेदस्वरूपम् ४९
तदुपरि पद्रोखरभूयोदाहरणम् .... ४४ | परि विप्रोदाहरणम् .... ४९
| 9 ५५ प्रस्तुतार्थोपसंहार र . ४५ | ६९ आगमपुरस्सरं प्रृत्तिरिति दशममेदस्वरूपम्५०
¢ ५९ अस्येषां भावश्रावकटक्चणानां सूचनम् ४५ | ७० यथाशक्ति दानादिमवत्तेनमित्येकादश-
4 ५७-५९ एतेषां ससदशनामानि .. ... ४६ । भेदस्वरूपम् ... ० ५१
| ६० स्त्रीसि प्रथमभेदस्वरूपम् .... «४६ ७१ विहिक इति द्वादश्षभेदस्वरूपम् .... ५१
| | ६१ इन्द्रिय इति द्वितीयभेदस्वरूपम् ..« ४३ चितामणिमिव क्रियादुरुभत्वे जयदेवस्य
| | ६२ अर्थं इति ठृतीयमेदस्वरूपम् =... ४७ । क्रियाकरणविहिकत्व दत्तनेगम स्य चोदा-
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