सूचना प्रौद्योगिकी | Soochna Praudyogiki

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1.4 दि इन्स्टीट्यूट ओंफ चार्ट एकाउन्टेन्ट्स ओंफ इण्डिया एा^€ के न्यूमैरिकल 'वरड' का आकार 10 दशमलव संख्याओं का था ओर यह इनमें से किन्हीं दो संख्याओं को 300 प्रति सेकण्ड की गति से गुणा कर सकता था। इसके लिए प्रत्येक अंक के मान वेल्यू) को यह अपनी मेमोरी में संचित गुणा करने वाली तालिका मेँ दढता था। एपा^८ अपने पूर्ववर्ती তিল কম্যুত্বা की तुलना में 1000 गुना तीव्र था। विशालकाय एोपा^८ को रखने के लिए 1800 वर्ग फीट स्थान चाहिए होता था ओर उसमें 18 हजार वैक्युम ट्यूब लगी हुई थीं, इसकी बिजली की खपत भी 180000 वोट थी! इसमें पंच काई इनपुट,^आउटपुट, 1 मल्टीप्लायर, 1 डिवाइडर ,“स्ववेयर रूटर ओर 20 एड्स दशमलव रिग काउंटर का प्रयोग करते थे इनसे रीड-राइट स्टोरेज को बहुत कम समय (0002 सेकंड) में देखा जा सकता था। एोपा^८ को पहला तीव्र गति से काम करने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर माना जाता हे । वर्ष 1946 से 1955 तक यह चलन मेँ रहा। आधुनिक प्रकार के कम्प्यूटर का प्रादुर्भाव तब हुआ जब जॉन वॉन न्यूमान ने बाइनरी पर आधारित सॉफ्टवेयर का विकास किया। यह न्यूमान ही थे जिन्होंने बाइनरी कोड के रूप में डेटा और निर्देशों को स्टोर करने की शुरुआत की, इसके साथ ही शुरू हुआ प्रोग्राम और डेटा को मेमोरी में रखने का चलन। वर्ष 1950 में बाइनरी कोड पर आधारित कम्प्यूटर छा (61901001710 [0150ल€ जलां ३७1६ (गण्य) बनाया गया । एा>५/^८ से पहले एिपा^८ जैसे कम्प्यूटर एक ही काम्‌ करते थे ओर दूसरे कार्य के लिए उन्हे 1७१८ करना पड़ता था। 20५2९ कम्प्यूटर में विभिन्न प्रोग्राम पंच कार्डो के रूप में स्टोर होते थे और इसी सिद्धान्त ने उन कम्प्यूटरों की आधारशिला रखी, जो हम आप आज देखते हैं। 1.2 कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (जेनेरेशन) (111९ (০0120157 007067801013) कम्प्यूटर के इतिहास से अभिप्राय उस विकास-क्रम से है, जो अलग-अलग समय पर गणना करने वाले उपकरणों के रूप में हुआ। पीढ़ी से तात्पर्य उपकरण के विकास की प्रक्रिया में हुए सुधारों से है। इसका प्रयोग कम्प्यूटर तकनीक में निरंतर हो रहे नए परिवर्तनों के सन्दर्भ में भी किया जाता है। कम्प्यूटर की हर नई पीढ़ी के साथ सर्किट छोटा होता गया लेकिन कम्प्यूटर के काम करने की क्षमता वदती ही गई | इस सूक्षीकरण का परिणाम गति, शक्ति और मेमोरी की वृद्धि के रूप में सामने आया। नई खोजों और अनुसंधानों के चलते हुए कार्य करने और खेलने के तरीकों में भी निरन्तर वदलाव किए। ই লট দস ৪ प्रत्येक पीढ़ी के कम्प्यूटरों की अपनी विशेषताएँ और ऐसे तकनीकी परिवर्तन हैं, जिन्होंने कम्प्यूटर क काम करने का तरीका बदल दिया। इसके कम्प्यूटर छोटे, सस्ते किन्तु पहले से अधिक क्षमतावान, कार्यदक्ष और विश्वसनीय होते चले गये। अब हम आपको कम्प्यूटर की प्रत्येक पीढ़ी और उसकं विकास के विषय में बताग्रेंगे, जिनसे उजर कर कम्प्यूटर आज इस युग में हमारे सामने है । प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर [9 00701811010 म वव बा 1 ০028০ (1940-56)] : इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों उन दयत का प्रयोग होता था। सर्किट के लिए वैक्युम टयूव और कमर के लिए मैग्नेटिक ड ग इन कम्प्यूटरों मे होता था, जो आकार मेँ कमरों जितने वड़े 5 রা | तने बड़े इनकी सं শা ५ र थो ओर विजली की खपत भी वहुत अधिक होती ঘা काफी अधिक ज करते थे, जिसके कारण प्रायः इनकी कार्यप्रणाली मेँ वाघा आ जाती थी। हर কী पर টা मशीन लैग्वेंज के आधार पर होता था और ये एक वार में केवल न টি ডর ने में सक्षम थे। ये कम्प्यूटर केवल मशीन- लैग्वेंज ही समझ पाते थे। জি हल ५ मे है 78 गये प्रोग्रामों को कम्पाइलर हारा असेम्वली या मशीन लैग्वेंज में बदला पुवाद) जाता था। अर लग्वंज के प्रोग्राम को मशीन लैग्वेंज में में बदलने का काम




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