नेहरू युग जानी-अनजानी बाते | Nehru Yug Jani-Anjani Batein
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरकारी नौकरी करती थी। उसका सभी सामान लूट लिया गया था। एक छोटे
से सहुक म सिफ एक साडी बची थी। मैंने खालिक को अ दर बुलाया ताकि
उसकी दाढ़ी देखकर वह कुछ आश्वस्त हो जाये। मैंन उससे कहा डरो मत,
मेरे साथ आओ |” मैं उसे कार मे नहरूजी के निवास पर ले गया और ई दरा
के कमरे म॑ ठहरा दिया। झींदरा उस समय शहर से बाहर गयी थी। कुछ दिनो
बाद जब वह सामा-य हो गयी हमने उसे हवाई जहाज से एक सतरी के साथ
না र भज दिया) बाद मे मुझे पता चला कि स्थिति सामा य हो जाने पर वह्
दिल्ली वापस आ गयी थी और उसने अपनी सरवारी नौकरी पर फिर से जाना
शुरू कर दिया था।
इही टिनों फी प्रेस जनल' का एक सवाददाता मेरे लिए स्वेच्छा स कुछ
काम कर रहा था वह दक्षिण का ब्राह्मण थ्रा और उसके बाल घुघराले ये। वह
बहुत-से समाचारपत्रों को पढता और महत्वपृण खबरा और टिप्पणियां को काट
कर उनकी कतरन इक्ट्ठटी करता था। यह दिल्ली से प्रकाशित समाचार-पत्रा स
नही होती थी क्याकि नेहरूजी आमतौर पर दित्ली स॑ प्रकाशित समाचार-पत्र
ही पढा करत थ। यह अख़वारी क्तरनें रोज़ाना नेहरूजी वे सामन रखी जाती
थी | एक शाम को वह सवाददाता टहलने के लिए बाहर गया। उसे शरणाथियों
के एक गिराह मे घेर लिया जिनके हाथो म॑ चाकू थे। उह वह मुसलमान
लग रहा था। उसते जोरा से प्रतिवाद भी किया कि वह तो दक्षिण भारत का हिंदू
है। लेक्नि उहाते उस पर विश्वास नहीं क्या और उससे कपडे उततारन को
कहा। वह एकदम सुन्त हो गया और भयानक मोत के लिए उसने समपण कर
दिया था क्योकि बचपन म ही उसकी सुनत न जाने क्नि दारणो से करा दी गयी
थी, जिनका उसे भी पता नथा। अचानक चमत्कार को तरह अनतशयनम
भायगर जसा दीखने वाला एक ब्राह्मण वहा प्रक्ट हुआ जिसके सिर वे पीछे
छोटी सी चोटी थी और माथे पर त्रिशूल का तिलक बना हुआ था । वह जोर से
चषा 'यह ब्राह्मण है। में इसे जानता हैं ।! भीड तुरत छेंट गयी! मेरा वह्
पत्रकार মিন बाद में स्पेशल सलक्शन बोड द्वारा विदेश सेवा म ले लिया गया ।
वाद म॑ वह् राजदूत के पद तक पहुँचा और अब सेवा से अवकाण प्राप्त है. ।
उन दिक्कत भरे दिना म हमेशा खाने-पीने की चीज़ा वी वडी किल्लेत रहती
थी। कभी कभी दीवान चमनलाल बुछ अडे ओर गोश्त भेज दिया ब्रत थे। एक
बार हमारे गोआवासी खानसामा को रडियेरो ने मुभसे कहा कि वह कही से भेमना
ला सकता है और उसका मास डीप फ्रीज म रखा जा सकता है। मैंने उसे स्वीकृति
दे टी। उन दिनो मैं गृह-कार्यो वी देखभाल भी कर रहा था क्यारि হত্যা
दिल्ती से बाहर थी। नेहरूजी ने जब मेमते के वारे म॑ सुना तो मुझ पर बहुत
মু हुए। ৪ कहा हा न এন (4 ऐसा किया तो चह गोश्त नही
गएंगे। इसकी ज़रूरत नही অলী বাদি ইতর পলি মনল गह-व्यवस्था
টির ५ प्रवध कर लिया था । নর
অবিশাজির ঘলান ম লইচ্চজী बे साव श्रिय गय दौरे मरे जीवन पै दुखदतः
अनुभव थे | हम मुलतान लाहोर और अमृतसर मे तहस-नहस ५1 $
और निरपराध लागो की लाशों के बीच म से युज़रना पडता था। हमने इतिहास
म् आवाटी का सबसे बडा तबादला देखा जिसकी लपेट मे दोनो ओर से आन-
जाने वाल | करोड 80 लाख लोग आये। बुछ द्षों ध
4 बाद भेरे एक টি
कौन अधिक नस था मुस्लिम या सिख ?! मैंन उत्तर दिया বুল
नेहरुजी और में | 15
User Reviews
No Reviews | Add Yours...