हिन्दी पूजन सार्थ | Hindi Poojan Sarth
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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No Information available about श्री राधामोहन जैन -Shri Radhamohan Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
दशनं जिन च्ैस्ध, संसारश्वान्त नाशनम् । .
बोधन चित्त पञ्चस्थ, समस्ताथ प्रकाशनम् 1।४॥
अर्थात् सूर्य्य के समान श्री जिनेन्द्रदेव के दर्शन करने से আাঁলা--
रिक अंधकार तष्ट होता है चित्तरूषी कमल फूलक्ता है ओर सनः
पदां प्रकाश मेँ प्राते है अर्थात् जाने जाते है
दर्शन जिन चंद्रस्य, सथम्मामत बषणं ।
जन्मदाह विनाशाय) बधनं सुख वारिधेः ॥५॥
अर्थात् चन्द्रमा के समान श्री जिमेन्द्रदेव का दर्शव करने से
सत्य धस्मंरूपी अमृत की वर्षा होती हैं, जन्म जन्म का दाह ठंडा:
होता है और सुखरूपी समुद्रकी वृद्धि होतीं है।
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जीवादि तत्वं प्रतिपादकाय,सम्पक्ख धरूपाष्ट गुणाणेबाय ।;
प्रशान्वरूपाय दिगम्बराय, देवाधि देवाय नमो जिनाय ।&
अर्थात् श्री देवाधिदेव जिनेन्द्र देव को नमस्कारहो, नो जीव
आदि सात तत्वों के बताने वाले, सम्पक्त ग्रादि आठ गुणों के.
समुद्र, शान्तरूप तथा दिगम्बररूप है ।
चिदानंदेकरूपाय, जिनाय परमात्मने |
परमात्मा प्रकाशाय, नित्य सिद्धास्मने नमः ॥७॥॥
अर्थात् श्री सिद्धात्मा को निव्य नमस्कार हो जो ज्ञानानल्द रूपः
ह अ्ट कर्मोको जीत्तनेवलि, प्रमास्म स्वरूप वथा परमतत्व परमा-~
त्मा के प्रकाश करने बाले है ।
यथा शरण नास्ति, खमेव शरणं मम ।
तस्मात्कारुखए्य भावेन, र्त रतत जिनेश्वर ॥८॥
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