हिन्दी पूजन सार्थ | Hindi Poojan Sarth

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Hindi Poojan Sarth by श्री राधामोहन जैन -Shri Radhamohan Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३) दशनं जिन च्ैस्ध, संसारश्वान्त नाशनम्‌ । . बोधन चित्त पञ्चस्थ, समस्ताथ प्रकाशनम्‌ 1।४॥ अर्थात्‌ सूर्य्य के समान श्री जिनेन्द्रदेव के दर्शन करने से আাঁলা-- रिक अंधकार तष्ट होता है चित्तरूषी कमल फूलक्ता है ओर सनः पदां प्रकाश मेँ प्राते है अर्थात्‌ जाने जाते है दर्शन जिन चंद्रस्य, सथम्मामत बषणं । जन्मदाह विनाशाय) बधनं सुख वारिधेः ॥५॥ अर्थात्‌ चन्द्रमा के समान श्री जिमेन्द्रदेव का दर्शव करने से सत्य धस्मंरूपी अमृत की वर्षा होती हैं, जन्म जन्म का दाह ठंडा: होता है और सुखरूपी समुद्रकी वृद्धि होतीं है। $ © जीवादि तत्वं प्रतिपादकाय,सम्पक्ख धरूपाष्ट गुणाणेबाय ।; प्रशान्वरूपाय दिगम्बराय, देवाधि देवाय नमो जिनाय ।& अर्थात्‌ श्री देवाधिदेव जिनेन्द्र देव को नमस्कारहो, नो जीव आदि सात तत्वों के बताने वाले, सम्पक्त ग्रादि आठ गुणों के. समुद्र, शान्तरूप तथा दिगम्बररूप है । चिदानंदेकरूपाय, जिनाय परमात्मने | परमात्मा प्रकाशाय, नित्य सिद्धास्मने नमः ॥७॥॥ अर्थात्‌ श्री सिद्धात्मा को निव्य नमस्कार हो जो ज्ञानानल्द रूपः ह अ्ट कर्मोको जीत्तनेवलि, प्रमास्म स्वरूप वथा परमतत्व परमा-~ त्मा के प्रकाश करने बाले है । यथा शरण नास्ति, खमेव शरणं मम । तस्मात्कारुखए्य भावेन, र्त रतत जिनेश्वर ॥८॥




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