भारतीय प्रदेश और उनकी निवासी | Bharatiya Pradesh Aur Unke Nivasi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वसत कुमार चट्टोपाध्याय - Vasat Kumar Chattopadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दय्
चरता का अरन्त कर दिया। कुछ वर्ष वाद १८३२ ई० मे पग्र ज़ी सरकार ने
प्रतिम प्रहोम राजा पुरधर ह् को वित्त हौ पदच्युत कर् सारे भ्रामं कौ
ঘুঘ হল উ झपने अधिकार मे ले तिया तवसे लेकर भय तक करा इत्स
मारत के सामान्य इतिहास का प्रग है। इस लिए यहाँ उसकी पुनरावृत्ति की
कोई विशेष भावश्यरुता नही है । १६४७ ई० मे स्वतत्रता भ्राप्यि पर बगाल के
दूसरे विभाजन के साथ झासाम का जिला घिलहुट उससे कोट कर पूर्वी प्राकि-
स्तान को दे दिया गया | तभी से भासाम का वर्तमान रूप चला गा रहा है।
श्रभी हाज़ में उसके पूर्वी सीमावर्ती पहाडी क्षेत्रों मे रहने वाले नागा लोगों के
लिए पृथक 'नागालैंड' स्वायत्त राज्य की स्थापना की घोषणा की गई है।
देश और जाति
মামাদ दो वड़ीन्वदी नदी-पादियो का देश है । उत्तर में ब्रह्मपुत्त की घाटी
है भोर दक्षिए-पश्चिम में सुरमा की । मधिकतर पावादी भौर खेती इग्ही दो
घाटियो मे केन्द्रित है। उत्तरी भौर पूर्वी किनारो के साथ साथ মিথিলা
घली गई हैं, भौर ছা क्षेत्र मे नीची पहाडिया, जगल, दलदल भोर घास के
मैदान हैं| वदी नाले, जोहड भोर ম্টাল सर्वत्र हैं तवा चारो भोर वनस्पति का
प्राइये है । विस्तृत क्षेत्र जगती सरकडो से भावृत् हैं, जो रहीं-कही बीस-वीस
फुट तक ऊँचे गए हैं । इनमे विभिन्न प्रकार के जंगली जीव-जन्तु विचरण करते
हैं। प्रभी हाल तक भासाम में इतने भधिक हाथी थे कि हायी प्रकडने के सरकारी
'सेडा! विभाग द्वारा ४०० हाथी प्रतिवर्ष पवड़े जाते ये । हाथी भौर गेंडे को तो
यहाँ की राज्य-सरकार ने प्रपता राज-चिन्ह निर्धारित किया है 1
प्राताम का जसल-वायु शीतल भोर सुखद दै। केवल दो दी मौषम द--
बरसात भौर सदियाँ, गरभियाँ नहीं द्वोतों । बाढ़ भौर भूकम्प से पवश्य बहुत
क्षल होती दै । प्रति वर्ष बरसात मे ब्रह्मपुत्त नदी प्रसमियों की सहन प्क्ति कौ
परीक्षा लेती है। परन्तु इन्दी वाद्यो की ध्ियाई से यह पान, पटसन সাং সন্য
फ़ससें সন্ত परिमाण में होती हैं। भूकम्प से इस प्रदेश में भनेको थार विनाश
हो घुद्य है। १८६७ के নুন স শাকাতী नगर हरा पूर्ण रूप थे पिष्वंस हुपा
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