आधुनिक भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतन | Aadhunika Bharatiya Samajika Evam Rajanitika Chintana

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Aadhunika Bharatiya Samajika Evam Rajanitika Chintana by पुरुषोत्तम नागर - Purushottam Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 आधुनिक भारतोय सामाजिक एवं शजनोतिक चितन स्मित प्राघार प्रदात क्या ताकि भविष्य र पीटिया उनसे मार्रदशन সান লং লট | यहं दरदशितापूर्ण कार्य घा। झ्ाज भी देह्मममांश আহ লমাজ, रामकृष्ण मिशन तपा पियोसोफिक्त सोरायटो को कायं प्रपने सम्यापड़ों को नोति ये प्रतुमार बदुकिणिचित परिदर्तेन के साथ चल रहा है ! राजा दाममोहनराण द्वारा स्थापित दक्ष सम जे ने खाति-पाति के भेद को दूर बरने क कार्य के घाय एकेष्वरवाद को समर्पन एवं मृतिपूजा का खप्दन भो छिया। ब्रह्मदमाज जे व्याप्त धामिक अधविश्वामो एवं कुरीतियों के विस्द्ध विद्रोह का लड़ा फहराया । राय ने प्रपक्ष प्रय्तों से सती-प्रथा समाप्त हुई। ३ मात्र घम-सुघारक भ्रयदा साम्माजोद्धांख ही नहीं पे दस पत्रकारिता एवं ग्रवरघना द्वार' गाज्नौतिक वारयंक्रम का शोगदेश करने वाल कभी थे। संसदीय तोइतद, प्रप्रिब्यक्ति की स्वतंत्रता, पराश्चात्य शिक्षा बा बरएणा एवं न्थापिक तप्ा प्रशासनिक सुधारों के प्तम्र्थत्त रे उन्होंने झघने मौलिक विचार प्रस्तुत किये । उनरा राजनीतिक तपा सामाजिक सकय भान्तो्ो मे प्रात्मनम्मान एव जागृवि को मवार झरना पा | इसी कारण से उन्हें धापुनिक भारत का 'जनऊ' भी वहा डाठा हैं धर्म एद समराज-्युघार ग्रादोतन के अ्रध्ययन में दूसरा प्रमुख माम स्वामी दयानद परस्वती के है । पपने गहन सक्कृत-ज्ञान द्वारा उन्होंने वेदों को थुनः प्रतिष्ठा को तथा जनम्रादत्त में भारतीय संस्कृति, धर्म तथा प्राचीन नाहित्य दे महृत्त्त को पंल्‍्पापित किया । च्वाप्त होनता गो भावना को दूर बर स्वामोजी ने भारतोरों मे पौत्य दा सघार किया । प्रायंसमाज-प्रानदोधत केवल धार्मिक प्यदां मामाजिर झादोलन हो नहीं था बल्कि यह एक राजनीतिक प्रॉदोतन भी था जिसने बपग्रेजो शानन का प्रातक्तित कर दिया था| भारतोग हामाभिक्‌ एव राजनीठिक घितने झो प्लाध्ुनिस्ता एवं भारतोयता का बानो पहनने का कयं स्वामो दयानन्द सरस्वतीके विवारातेहौ सभव हुप्ला दा। दे स्वतव्वता, स्वदेश, स्वभाषा, स्वधमं तषा शिक्षा के भारतोंद बरगा दे प्रद्ेता थे। दे राष्टभाण हिन्दों के उक्नायक्ष पे भ्ोर विदेशों धर्म तथा विदेशों राग्य को दामंता के प्रतिघोर विद्वोही थे । उत्यापंप्रकाश में स्वामोड़ों ने राजनीति को विध्दद अ्याडग्रा!ँ इल्तुत रुर झ्रापुतिझ भाए्तोप स्ामाजिझ एव राजनीतिक चिनन सो पप्ने घनोव मौलिक विचारों से मृद्ध बिया है। राजनीतिक चेंठता के प्रगद्रद होने के साथ हो कांप दे सामा्िद काति के भी पूद्धार पे । समाज सुधार ফী हृम्टि से उन्होंते जातिप्रधा-दिरोध, विध्रवा-विदाह समरन हथा हरिशनोदार का प्रगतिशील कायं बिया। धामित्र सत्र में स्वामो दयानंद ने हिंदू प्र হে ধলেতি ফী ईताइयत तथा इस्लामी चुनौवी बा सामना बरतने को सामर्म्द दो। उनके शुद्धि! कार्यक्रम से ईसाई मिगनरियों तपा इठमुस्लाएों ढे होने पस्ठ हो गये । झवामों रामहृष्ण परमहस हे शिष्य रवासी शिवेशानन्ध ने भारतीय सामाजिक तएा शाजमीतिर बितन में उप्न राफ्ुवाद गा समावेश शिणा। নক লে भारतोयों कै माल हूँ ग्रोत्मविवाम उत्पन्न गरता था ताडि दे स्वतच्ेत' भा बराए ग मरे । वें दिप्लाववांद कै प्रेरणा रोव 1 মানে दे छहस्त्रों कातिवारियों ने उनदे भाएणों पा लेखों डो धरना प्रकाद स्तंभ बना रखा था। उम्हेंने देदान्त तथी শি दे दाशनिद हत्त्दोंरों पीधारण जददा तेरे पहुदाया तथा भारतोंग सल्तृि रे লগ হলদাঁ হা ল্বীলাছযে हिया। उनका रागनी तिद चक्र दा सिद्धांत भारत ঘী দাহী লমাহাহী আকা হব दत्तित-दर्ग के दामन बा! पूर्दापास था। ये दरिडतारारंट ঈ ববান ঘ | उनके प्रदरनों से সহ হা भांखोंद श्रेष्ठि तेषा घाभिशत्य वर्ग को दरिदधारत शो উহা বা পাথুবিষ্ক




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