वाणी का वरदान | Vani Ka Varadan

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Vani Ka Varadan by रंजना शर्मा - Ranjana Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हाथ कसवार पक लिया जौर फिर उसके बालों को सोचते हुए बोला, क्यों रे हरिजन के बच्चे, चोरी यर्ते भम नही जायो 1” दोप्ती। १५




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