जिगर मुरादाबादी | Jigar Muraadaabaadii

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Jigar Muraadaabaadii by जियौदीन अंसारी - Jiyaudin Ansari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनी. 15 और फिर से उनका जीवन सुखी रहने लगा । अब मानो उनके जीवन में बहार आ गयी हो । उनकी ख्याति भी उच्च शिखर तक पहुंच गयी । निर्धनता और अभाव की स्थिति भी दूर हो गयी । नसीम वेगम से उनके सम्बन्ध अन्त तक बहुत मधुर रहे। जिगर हर प्रकार से उन्हें सान्त्वना देते रहे और विगत की कटुता का परिहार करने का प्रयत्न करते रहे। अब उन्होंने गौँडा को अपना स्थायी निवास बना लिया । अब भी उन्हें वहुधा मुशायरों में या अन्य कारणों से घर से बाहर जाना होता और कई-कई मास तक बाहर रहना होता । किन्तु वे लौटकर गौंडा ही आते । लौटते समय मित्रों कें लिए उपहार लाते । वेगम के लिए भी आभूषण और मूल्यवान वस्त्र आदि लाते । मित्रगण उन्हें समझाते और ऐसा करने से रोकते किन्तु जिगर अपने मित्रों से बड़ा स्नेह रखते थे । वे इन णीशों को ठेस पहुंचाना सहन नहीं कर सकते थे । इसी प्रकार नसीम बेगम के लिए भी कहा करते थे कि विगत में मेरी ओर से इन्हें जो कष्ट पहुंचे हैं और इन्होंने मेरे लिए जो कठिनाइयाँ सहन की हैं उनका अनुमान लगाना कठिन है। मैं हूं कि अब इस भार को कम कर दूं । इस प्रकार वे उनसे सौहादंपूर्ण सम्बन्ध वनाए रखने में सफल हुए । इस अवधि में इन दोनों के बीच किसी भी अप्रिय घटना की सुचना नहीं मिलती | चरित्र जिगर ऐसे व्यक्ति थे जो किसी के भी दिल को दुखाना नहीं चाहते थे । वे अत्यन्त सह्दय मिलनसार और ढंग के व्यक्ति थे । जिस व्यक्ति को एक बार अपना लेते सदा उसका आदर करते और हर प्रकार से उसे तसल्‍ली देते । देखने में उनकी शक्‍्ल-सुरत आकर्षक नहीं थी । रंग काफ़ी काला था । आँखें छोटी और क़द दरम्याना था । बातचीत के समय आगे के दाँत दिखायी देने लगते थे । किन्तु उनका चरित्र अत्यन्त उज्ज्वल और आकर्षक था । इसका प्रभाव उनके रंग-रूप पर भी पड़ा था । इसी कारण उनके चरित्र और आकृति दोनों में अद्भुत आकषंण पैदा हो गया था । पहली ही मुलाक़ात में लोग उनसे प्रभावित हो जाते थे । उनके चरित्र और स्वाभाविक गुणों की जो छाप पहली बार पड़ती वह बाद की मुलाक़ातों में और भी गहरी होती जाती । कभी ऐसा नहीं हुआ कि मिलनेवालों पर प्रथम परि- चय में जो प्रभाव पड़ा था उससे उन्हें निराशा हुई हो या उस पर पुनर्विचार की आवश्यकता प्रतीत हुई हो । वे एक ही मुलाक़ात में लोगों पर ऐसा जादू डालते कि वे पुन उनसे मिलने को उत्सुक रहते । जिगर बड़े स्वाभिमानी और आत्म सन्तोषी व्यक्ति थे । इन दोनों विशेषताओं ने उनके व्यक्तित्व को ऊंचा उठा दिया था । उन्होंने बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों में भी अपने स्वाभिमान को आँच न आने दी । वे न तो स्वयं चापलूसी करते थे और न ही किसी की चापलूसी पसन्द करते थे । दिल के बहुत साफ़ और खरे थे । इसीलिए साय




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