महाप्राण मुनि मायाराम | Mahapran Muni Mayaram

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Mahapran Muni Mayaram by सुभद्र मुनि - Subhadra Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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কু সক प्रमुखों ने जो अपने तथा धपने गूंद एवं अपने शिक्ष्य-ससुदाय का भरिचम व आंकड़े भेजे, वे सब यथावत्‌ मैंने प्रस्तुत कर दिये हैं। हां, लेखन की दृष्टि से कार्य मेरा है, झांकड़े एवं परिचय उनका है। साथ ही सुझे जो परिशात था, बहू ममि भरर संलग्न कर दिया) तीसरे खण्ड में मुनिमता को भ्रपित शंद्धा-पुष्प हैं। प्रत्थ अधिक न बढ़े, इसे ध्यात में रखते हुए लेखों का कुछ संक्षेपीकरण किया है, लेखकीय प्रधिकार मानकर । तीनों खण्डों में क्या-क्या, कैसा-कैसा है भौर किस को कैसा लगा ? इसको मैं पूरे सम्मान से महत्व देता हूँ। मेरा हर पाठक समाहित है। मैं उनके सुझाव और विचारों का छुले हृदय से स्वागत करूगा। किसी पाठक के मानस में कोई विशेष तथ्य समुपस्थित हो, तो बह उससे मुझे अपना समझ कर झवगत करायें, ताकि प्रप्रिम संस्करण में उसका उपयोग हो सके | सहयोग ; --अस्तुत पुस्तक के लेखन में मुझे जो भ्रनुभव हुआ, वह संभव है वर्षों लगाने पर भी न होता । जो न होता, वह इस लेखन में सहज ही मिल गया; क्‍योंकि सहयोग भ्रौर असहयोग के सभी क्षण देखने का अवसर मिला । जो कुछ जैसा घटा, बीता, वह सब कहने के लिये नहीं, मेरे सहने के लिये है । --मैं अन्तमंन से उन सभी सुनिराजों का आभारी हैँ, जिन्होंने इस अंकन म मूके प्रत्यक्षया भप्रत्यक्ष-ल्प से सहयोग प्रदान किया। स्वनामधन्य श्री टेकबन्द जी म० ब मालवरत्न श्री कस्तूरचन्द जी म० का स्महु-सौजन्य तो कभी मेरे मानस से विस्मृुत न होगा। श्रद्धाधार पृज्य गुरुदेव से सुनी हुईं, लेकिन काल-व्यवधान से धु धला रहीं कई घटनाओं को श्री टेकचन्द जी म० ने सुस्पष्ट किया तथा मुनिवों के जन्म, दीक्षा स्‍्रादि के आंकड़े जो उनके पास थे, सुस्त समुपलब्ध कर दिये। पृज्य श्रद्धेय महामता सूनिश्री की राजस्थान में घटित कई घटनाभ्रों ब तत्रस्थ मुन्रियों, झ्राचायों के महामुनि के प्रति विचार एकत्र करने में मुझे मालवरत्न श्री जी से सहयोग मिला। श्री बनवारीलाल जी स७ व श्री नेमचन्द जी स० ने अपनी परम्परा का विवरण समूषसम्ध कर मेरा कायं सरल किया । भरे पूज्य गुरुदेव महामनीषी, प्रसिद्ध विचारक, विद्वद्वत्त मुनि भी रामकृष्ण [90৬]




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