शाला संगठन एवं शिक्षा समस्याएं | School Organisation & Problems Of Education

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : शाला संगठन एवं शिक्षा समस्याएं  - School Organisation & Problems Of Education

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रो हेतसिंह वघेला - Prof. Heatsingh Vaghela

Add Infomation AboutProf. Heatsingh Vaghela

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
উই. লা হু ~ ~ ˆ পাপ হন प हे > प्रधानाब्यापफ विद्यालय মা সে ই (স্নো याठशीला के विभिन्‍ने श्रमो মী एफ सूत्र म बाघ करू सयठित करने चाल व्यक्ति है । प्रयावोध्यापक' विद्यालय মিটি মাহা সঘনা গানবিক সথামল वे! मध्य एक बडी है ॥ ক, ৯ 8 ~ मः ४ वे. आय ये लड़ा शवाएन হুদ 6) प्रधानाध्यापृक-किसी जहाज़ के कप्योत को आति झूहूर्व में अपना सुख्य रेथात रक्षता है।,< - $ स्क ~ च ^ पीसी रेस के न 78 अधानाापक का च्यक्तिव ही सा ने केचारी सोर प्रतिजिम्यित होता है। सुकून > वषै तरः प्रधाराध्यापप छनःपर राई जान बागी भृदूर हैं। ~ < +, ५५ গল १ ৮ ३ पी सपसु [म ~+ ~ ग है) प्रेधानाष्यापर्वै ओ विद्धानय मे स्थिति वही दज सेनाम सेनि মাথা নার £ परं जाविन कनो शतो है । प्रघानाध्यापफ विश्प য্যলন ছা ঘুষ্টঘর न জারা” ফট অথ হীরা ই, 7 ।-~ 5 =, , षष एन -नुकनीं } क ४ = 9) , शे परवा पुरे प्राहव्यापद्‌ पैः घकार पियत्वयं खनि येवां रवति अप्त कस्ते ह महान प्रधाह्नष्यापक्त महानुणयिथालय जो जमदेवहैं। * 7 রি “डा सी जीवनायवम ৮ १ के के कक के 10) वह एक दिशौरे न्‍्याथात्रय का न्‍्यायाबीश « जिपयी थदाल॒त,मे केवज्ष घोदी- ही 1 वैरेन निर्दोष भी श्रांति हुँ 1 वह एक प्रशतक्‌ है जिमे भ्रयने ज़िद्यालग्न के भ्रविष्य * की कल्ेपनों करनी आदि तथा जैनता बो-अयनी याजागा के प्रनुसण बदलना चाहिए बह प्रत्येर म; बाप के लिए (सामाजिकः. चित्र है लिक स्येच्छाचासैम्यन्वे को ~ देख रेख की आवश्यकता है, वह प्रत्यक यात्र क लिषु भित्‌ है भोर सभी दुखी घरो केंलिए भी मित्र, उसनी शक्ति, उतके ধান! রা নক কি ওয় दत्कायों को किसी मो भौतिद छूटी से नापा नही जा पत्ता । .. __ এ 4 ^ = সির রা এ --विल फ़ॉच आधुनिक शिया उद्देगपो की-पूर्ति इशन अवाताध्यापक के माध्यम से हीं कौर नके है मयोमिः उसका कथने ध जिम्मदीरी केतकी पे पमरी मै । पाठ्यक्रम पूरा करवाना मात्र ही नही है बल्कि सम्पर्ग समोय व राष्ट्र की ग्राकाक्षाओं के झनुरुप्‌ छात्रा में चारिजिक गण/को/प्ाष्त केर देंगे वी प्रजाते्ीजक पवस्दे। दी सफलता हैदु म~ হি हयार करे 'के साथे-साय समाज के छोटे त्य से विंयालय का विकास কনা ই) & सारे समाज, राष्ट्र, प्रभिमावक, भ्रध्यापक बालको कं प्रि अरत्यावक जिम्मेदारिया है, वियया उसे निवाह करना है। यदि रायनतित्र বাল্ব वी भाषा में यह कहा जाय € 5) ८




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now