ग्रामीण तेल उद्योग | Gramin Tel Udyog
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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५८.
[ (छ)
तथा खर्च का विपग्ण क
छिलके सहित मूगफलियाँ र
बारगल मे उत्पालन से चकर प्रद्रा में तेरी तक विल
पहुचाने फे से का फैलव न
सागर में तिल उत्पाल्कं से ठेकर मिल तेल उपमोक्ता
तक लागत का फैत्यन क
बिक्री के लिए भग्थाना (जिला इटावा उत्तर प्रदेश) के
एक थोक व्यापारी द्वारा छाही भेजी गयी फा उटाहग्ण
जो उसने हावड़ा फे आदतिया फो कमीशन पर बेचने
के लिए, सितबर सन् १९४१ में भेजी थी न
राई और सरसों को उत्पादक के पास से डपमोक्ता-
निर्यात्त, के पास জনি কা দ্র $
लातूर जार (रैदगगद गञ्य) के एफ थो न्यापारी
द्वारा १०१ बारा अलसी खरीदने ॐ
उत्पाल्क दाग अप्ने गांव फे व्यापारी को बेचा गया
और फिर उससे उपभोक्ता को सतना में রি
अडी तिलःन को चरर से दल भेजने मे निर्यात
বন্ধ ধা वम्बई-इल क मूल्य में विभिन्नता ५
सन् १९५९ भे माप्त में घानियों की सरपा ५
मागत मे घानियो र सस्या क
हर गझ्य की सुधरी घानियों की सरयरा (३१-३-९८ तक) ,,
प्रादेशिक घानियों फी काये क्षमता ॐ
घानियो की कायै क्षमता ১৪
घानियों और मिलो में पेरे गये तिल्इनों का प्रतिशत ,,
२२१-२२३
२३४
२३५
२३६
२१७-२३८
२३९-२४१
२४२-२४३
२४४-२४५
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