भक्त - नारी | Bhakt Naree
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.49 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जे शबरी कर. न जाकर दाबरीकी मैंद़ैयाका पता पूछने छगे तो उन तपोबढके अभिमानी सुनियोंको बड़ा आश्चर्य हुआ । श्रीरामका अपने प्रति इतना अलुम्रह देखकर दाबरी उनकी अगवानीके छिये मनमें अनेक करती हुई सामने चढी ।- - भक्तमालमें कहा है-- आयू चले राम आई आयू लेन शबरीदू . चरण परन घाई वे मिलनकों घाये हैं । यिरि सी मुजद्ण्ड सों उठाय लीन्हीं फिरिकै गिरी सो पुनि मुज॒पसराये हैं ॥ प्रेम-दश्ा कहीं नहीं जात रघुराज दोऊ तन सन वचनकी साषि बिसराये हैं । सल्े ्राप मिले मोहिं सली मिली तौँ हूँ यह कहन दुदूनके सकारे सरि आये हैँ ॥ तनुकों सैंभारि करि ताकों मिली बार बार चारिज-विलोचनानि.. प्रेमवारि ढारिके । करको पकरि ताप ताहिकी कुटीकों चले राम मुनिमण्डल बिसारिके ॥ पुनि पुनि पूछे श्रमु तेरी कुटि केती दूरि जासें हाँ बसौंगो वारिके ।
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