मरु - मंगल | Maru - mangal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शेखावत सुमेरसिंह - Shekhawat Sumersingh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरु-मगछ
असल राजस्थानी भाषा वा जिकी राठौड प्रिथीराजजी बीकानेर मे
विराजता थका लिखी अर मीसणश सूरजमालजी बूंदी मे वेठया
माँडी । राजस्थानी वा भी जिकी बिरकाढी रा चन्द्रसिहजी बीका
अर बिसाऊ रा रहवासी मनोहरजी शर्मा झाज ताँई उकेरता-
अठेरता रिया | बाकी तो घणकराक नुवा लिखारा प्लाप-झाप री
वोल्या ही बोले । कोई बीकानेर रो बीकानेर मे बूठे तो कोई मारवाडो
मारवाड सामो मुड जावे । राजस्थानी कोई ने आवे जद लिखे লা)
राजस्थान में सवाल साहित री अज दर प्राथ ही कोनी । भ्रट
तो हाल लडाई ही भाषा री चाले। असल मे ई आखे प्रदेस री मायड
भाषा राजस्थानी बाज 1 हिन्दी ने उण री ठोड थरपर री कुचेप्टा
आजादी रै पदै मोकढी करी गई । पणएवातोखदूं रौ तरे मायड
भाषा की देस-प्रदेस री श्राथ ही कोनी । राजस्थानी ने हिन्दी री
उपभाषा भर बोली बताणो सफेद भूठ रे प्ललावा व्यू” न काँई। पण
सियासत्तदाँ लोग मामले ने उछमभा दियो अर साँई-सेत्याँ वेगोसी क
भो भुककतो भी कोनी लाम ।
आज राजस्थानी भाषा ने केन्द्रीय (साहित्य-प्रकादमी' एक
सुतत्तर भाषा रै रूप मे मानत्या देव, पण भारतीय सविधान री
आठवी फडद में श्रा सामल कोनी। म्हारी समझ मे जे झ्राखो
राजस्थान भर ई रा सेग प्रवासी उठ खडया हुवे अर भेन
सुर में माँग करे तो बात वेगी बणें। पण अबार ताँई तो खुद
राजस्थान मे ईज वापडी-लाण राजस्थानी रा पग पूरी तरियाँ ठोस
जमीन पर जम कोनी सवया । वोडं री 'सैकण्डरी परीक्षा” में 'राज-
स्थानी भाषा-साहित्य' एक मनचावू विषय जरूर मानौजै, पण उण
रा परीक्षाथियाँ री नफरी पाँच सो रे श्रेड-गेडे भी हाल कोनी 1 प्रदेस
भर मे फगत एक जोधपुर रे विस्वविद्यालय में राजस्थानी रो
निरवाछो विषय प्रर उणा रो न््यारो विभाग अलवत्ता मैजद मान्यो
जावै जदकं राजस्थान विस्ववियालय श्रौरू' इए रौ जोमाड वैठासौ
में ही बो'छो विलम्ब कर दियो। असल मे राजस्थानी ने हिन्दी-
मापा-मापी लोग सोच अर् पुरात्तत्व रो विपय वधा लियो 1 पिगढ
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* शेणादत सुमेर्राप्तह नो
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