जैन धर्मं शिक्षवाली भाग ५ | Jaimdharm Shikshavali Bhag-5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हैं इतनी बातें हेते ही सभा का काम ध्ारम्भू किया
भया सभा की भजन मण्ठली ने बड़े सुन्दर भजन गानि
आरस्प्र करदिये. जिनको सुनकर प्रत्येक जन इृर्षित होता
था। भजनों के पश्चात् सभापति अपने नियत किये
हुये आसन पर वेठ गये ^ तव् मनौ नी ने. बाहिर से
आये हुये पन्नों को पढ़कर सुनाया जिनमें दो पत्र तीव
उपयोगी ये वह् इस प्रकार सुनांये गये।
श्रीपान् पन्त्री जी जयं जिनेन्द्र देव !
০
विनय पूर्वक सेवा में निवेदन है क्रि-झाप की सभा
के उपदेशक पणिदत ““'४“ ********““**“**“ साहिब
कल दिन यहां पर पधारे उन-का एक आम (प्रकट )
व्याख्यान करवाया गया अन्यमतावल्ण्बियों के साथ
ईश्बर कर्तेत्व विषय पर एक बड़ा भारी संवाद हुआ
नियम विपय पूर्वक प्रवन्ध किया हुआ थ। उन, की ओर
से दे सन्यासी पूय पक्त मँ खड़े हए ये हमारे परित जीं
उत्तर पत्त में खड़े हुए थे सात दिन तक
नियम वद्ध शास्तायं हाता रहा अंत में उन सन््या सियों ने
इस पूयं पत्त फा उपस्थित क्षिया कि फल प्रदाता ईश्वर
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