रत्नाकरावतारिका भाग - 2 | Ratnakaravatarika Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ स्मरणप्रामाण्यम् । [ ३. ४-
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আপ্ুলস লা ১৭ ते पणु विशेष छे, जने ते जवुबयभावता स्मरणुमां
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परत स्भरणुभां ते! गवुभूयभानताने ই এপ ৭0188 উ -০৪
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थाय छे, जा अपरे सवुभाननी ब्रेभ स्मरणुत' पणु स्वातन्न्य चि. थुः भने
तेनी ৯৯ स्मभरयु पयु प्रभायु सि श्च,
(१०) स्मृत्तेरप्युत्पत्ती ति गद्ये काकया व्याख्या। ननु नाज्रेत्यादि परवाक्यम्। एवं नहीं-
स्यादि सूरियी: । व्याप्तिप्रतियादिग्रमाणेति गये व्याप्ति प्रतियादयतीस्येव হীত यदू
प्रमाणे प्रसयक्ष तन प्रतिपन्नो ज्ञातो य॒ पदार्थोऽग्निस्नस्योपस्थायनं तन्मतमिऽनुमाम
प्रतव्तते । अथ दयहवीत्या दे परवाक्य्म। दयाप्तिग्राहकेगीेति प्रत्यक्षप्रमाणेन | अनेयत्ये-
नेति वग्यात्तिहगकाले हि प्रमाता त्रिकालदर्शों गवति । नेयत्यविशेषेणति अय पदबतो
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