रत्नाकरावतारिका भाग - 2 | Ratnakaravatarika Bhag - 2

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Ratnakaravatarika Bhag - 2  by मुनि श्री मलयविजय - Muni Shri Malayavijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ स्मरणप्रामाण्यम्‌ । [ ३. ४- নী (উল, অথ উপ प्रभाजुथी ते। अनियत-लये।छस देशभां रडेशा जजिनी अनीति थाय छे, जने मचुभानथी ते। नियत देशभां २३६ সণ) वीति थाय छे, ते। मदुभानतु' स्वविषयमा स्वातन्ज्य ठेभ नि अछेवाय ৯: ते। पछी मनुभवर्भा ते। धणुः विशेषे। (घरमे-पयाये।)थी शुध्त पहा4 8 म(न इय्‌ छे, २ रभ्रथुमा त तन था = विशेषेषष्षणी पस्तुत' शान ३। छे, भा3 स्मृ (तयः पछु स्वविषयर्भा स्वातन्ज्य उम (९ ऽय ? योगः रे विशेषे। स्मृतिमां अतीत थाय छ, ते विदेय, मयुलवमामेक्दय अतीत थाय ০৮ উ. ৬২ 3-ब्ते ते विशेषेने। जबुभव नि भाने। ते! तेभव स्मरण ० (৬ খ।খ. 8৭: ते ০% रीने नियत्‌ दशम्‌ २३६ म पयु न्याक्षिभष्यु अरर प्रभाणथी अतीत ययेक्ष छे, सन्‌ ने सेम न मनात ৭ मवुमान्‌ पटु (३ ० थाव- २ पसतु उभ वियारता नथी ? योग; व्याप्ति अभाशुभां सबंददेश खने ঝুল, 7001 ২৭৭ 20৭58 लान थाय 9, परछु जबुभावभा ते। नियत आत्षद्देशवृत्ति मेटकेप्रे भाज ৭ के! पक्षभां नियत आला २३३ से४ ० मज्वितु' शान थाय छे. तनः तने। इर पथु गमाम पूतैः माषा = दीप्र छ, से ০1 ৭(৫. হই ই ৭ (ग्‌ पथु संनमन = मे$ 8) त्‌ मरत + इत. योगः भवुमपव समस्त विशेषेभांथी 32608 विशेषषने विषय ४२१२ स्भ२७ सर्व | थतु' नथी, परतु উরে स्थणे सेव पशु जने छे, डे पेटवां ३५६ विधेय सदेमन्य इय ते भध विशेष स्मरणु थाय छे, ते ते बिपे शे॥ খুঞঝ। ট? कनः पहाथना भात ३पाहि ०४ चिद्ये नथी, पयु मवुनूयमानता 2৫৪ উ আপ্ুলস লা ১৭ ते पणु विशेष छे, जने ते जवुबयभावता स्मरणुमां ४ही पु भासतवी वथी, ब्ले तेम जने ते। स्मरणु पणु पूर्वानुभव३५ मनी व्यय, परत स्भरणुभां ते! गवुभूयभानताने ই এপ ৭0188 উ -০৪ पहथ अधभ खबुभवने। विषय जनी जये। ইউ, ৯৭ धम स्मरणुभां सात थाय छे, जा अपरे सवुभाननी ब्रेभ स्मरणुत' पणु स्वातन्न्य चि. थुः भने तेनी ৯৯ स्मभरयु पयु प्रभायु सि श्च, (१०) स्मृत्तेरप्युत्पत्ती ति गद्ये काकया व्याख्या। ननु नाज्रेत्यादि परवाक्यम्‌। एवं नहीं- स्यादि सूरियी: । व्याप्तिप्रतियादिग्रमाणेति गये व्याप्ति प्रतियादयतीस्येव হীত यदू प्रमाणे प्रसयक्ष तन प्रतिपन्नो ज्ञातो य॒ पदार्थोऽग्निस्नस्योपस्थायनं तन्मतमिऽनुमाम प्रतव्तते । अथ दयहवीत्या दे परवाक्य्म। दयाप्तिग्राहकेगीेति प्रत्यक्षप्रमाणेन | अनेयत्ये- नेति वग्यात्तिहगकाले हि प्रमाता त्रिकालदर्शों गवति । नेयत्यविशेषेणति अय पदबतो




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