युद्ध और अहिंसा | Yuddh Or Ahinsha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समभौते का कोई प्रश्न नहीं ও
मैं आपको पत्र लिखेँ । लेकिन इस खयाल से कि मेरे द्वारा भेजा
गया पत्र गुस्तास्नी में शुमार होगा, मैंने उनकी बात कुछ
दिन तक न मानी । कोई शक्ति मुमसे कहती हैं कि मुझे
विचार करना चाहिए और अपील का नतीजा कुछ भी हो,
अपील मुभे करनी ही चाहिए 1 यह स्पष्ट है कि आप विश्व मे एक
ऐसे व्यक्ति हैं जो युद्ध को रोक सकते है । युद्ध होने पर यद
सम्भव है किं मानवता क्षीण होकर बर्बरता में परिवर्तित ्टो
जाये। क्या आप एक वस्तु के लिए, जिसे आप कितनी भी
कीमती क्यों न समभते हों, यह मूल्य देंगे ही? क्या आप
एक ऐसे आदमी को अपील को सुनेंगे जिसने खुद ही जान-
बूमकर लड़ाई को छोड़ दिया है, परन्तु उसे काफी सफलता नहीं
मिली ९ पत्र लिखकर आपको मेंने कष्ट दिया हो, तो में आशा
करता हूँ कि आप मुझे क्षमा करेंगे !”
क्या ही अच्छा होता कि हेर हिटलर अब भी विवेक से
काम लेते तथा तमाम समझदार आदमियों की अपील, जिनमें
जर्मन भी हैं, सुनते । में यह स्वीकार करने के लिए तैयार नही हूँ
कि विध्वंस के डर से लंडन-जेसे भारी शहरों के खाली
होने की बात जमन लोग शॉत रहकरसोच सकते होंगे। वे
शांति के साथ इस प्रकार के अपने विध्वंस की बात नहीं सोच
सकते। इस मौके पर मँ भारत के स्वराज्य की बात नहीं
सोच रहा हू । भारत में स्वराञ्य जब होगा तब होगा। लेकिन
जव इ ग्लैर्ड और फ्रांस की हार हो गयी तथा जब उरं विध्वस्त
जमनी के ऊपर फतह मिल गयी तो उसका क्या मूल्य होगा
मालूम ऐसा ही पड़ता है कि जेंसे हिटलर किसी परमात्मा के
अस्तित्व में विश्वास नहीं करते ओर केवल पशुबल को ही
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