हिंदी गद्य तरंगिनी | Hindi Gadhya Tarangini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.86 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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No Information available about गोकुलचंद शर्म्मा - Gokul chand Sharmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्ञपत्तु में सबसे उत्तम थार जानमे याग्य कान हैं? ५
यो को धारण फर लेवा है ? कान सो शक्ति है जो गर्भ में
इसका पालन करती सार इसको बढ़ाती दै ? बद्द कया श्रद्धु
रचना है जिससे बच्चे के उत्पन्न दोने के थोड़े समय पूर्व ही
माता के स्तनों में दूघ रा जाता है कान सी शक्ति है जी
सब श्रसंख्य प्राणघारियें को, सब मनुष्यों को, सब पशु-पश्चियों
को, सब कीट-पतज्लों को, सब पेड़-पत्चवें का पालवो शार उनकी
समय से 'चारा-पानी पहुँचाती है ? कीन सी शक्ति दै लिससे
चौटियाँ दिन में भी श्रौर रात में भी सीधी भीत पर चढ़ती
चली जाती हैं ? कान सी शक्ति है जिससे छोटे से छोटे पार
बड़े से बड़े पक्ती श्रनस्त श्राकाश में दूर से दूर तक बिना किसी
शाघार के उड़ा फरते हैं
मरे श्र नारियों की, मनुष्यों की, गौश्नें की, सिंह की,
ाथियें की, पत्तियों की छोर. कड़ी की सुर्टि कैसे हेएती है ९
मनुष्यों से मतुष्य, सिंदें। से सिंद, घाड़ों से घोड़े, गीन्रे से थी,
मयूर्ण से मयूर, हंसे। से हंस, तोतें से लाते, कमूतरों से कबूतर,
अपने-अपने माता-पिता के श्वयद लिये हुए कैसे उत्पन्न होते हैं ?
छोटे से छाटे वीजें से किसी अचिन्त्य शक्ति से बढ़ायें हुए बड़े धार,
छोटे भर्सरप दृच्त चपते हैं तथा प्रतिवर्ष दौर बहुत वर्पों तक पत्ती,
फूल-फल, रस, तेल, छाल और लकड़ी से जीवधारियों केए सुख
पहुँचाते, सैकड़े सदसों स्वाद, रसोले फलों से उनको छुप्त शरीर
मुए करते, धुत वर्षों क श्वास लेंसे, पानी पौते, प्रथिवी शैरर श्राकारों
से श्राहार खींचते, झकाश के नीचे भूमते लद्द॒रावे रहते हैं ।
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