सिंहद्वार | Singh Dwar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৬ সিকি
११)
ससा सरव, अपवर्गे, स्वगं !
है व्यर्थ अहिंसा का सुघोष ।
हँस - हंबकर विप पी लेने दे--
होकर प्रलयकर, आशुतोप ।
हम धर्म नहीं उगने देंगे
तलवारों के मेंदान वीच ।
वाये फसल प्यार भरकर--
काटेगे तन को सीच -सीच ।
अणु की महिमा के सजेठाट)
उदजन उद्घोपण वार-वार ।
त् वनी शाति की सूति मौन--
होती मर्यादा क्षार -क्षार !
জী হনলালা ! पीताभ वसन
मेरी अरुणिम सौगात देख ।
पथश्रष्ट विकासों के गढ़ पर--
है ऋति कनाते, शस्त्र -मेख |
जिस मंदिर मे थी देवमूति
उसमे वैज्ञानिक की काया ।
बादल बन कर मेडराती है--
मानव - मन वाष्पो की छाया ।
सिह्द्वार
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