अष्टम त्रिक महापुरुष चरित्र [रामायण] | Ashtam Trik Mahapurash Charitra [Ramayan]
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
552
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)असली नकली सुग्रीव १७
मांगो सुख से दनि, रही ना कसर तेरे उस फन मे
अब आगे मत ताल, क्योकि मुश्किल होगी फिर रण में ॥
यह सर धड का खेल, खेलते क्षत्रिय खेल मगन से 1.
क्या तेरी श्रौकात तीर से, फेक्र तुभे गगन से ॥
सहसगति का गाना
समर का खेल मत हॉसी गिनों बहुरूपिया भाई |
से अब भी तरस खाता हैँ सुनो बहुरूपिया भाई ॥९॥
किया अनुचित भी जा वूने उसे में माफ करता हैँ ।
भुकाओ शीश मत ज्यादा तनो बहुरूपिया भाई ॥२॥
प्राण अपना गंवा करे, करावोमे मेरी निन्दा ।
मिलो बच्चों से ताना मत बुनों, बहुरूपिया भाई ॥३॥
प्रभो तो शात कर रक्खा है, भैने अपने गुस्से को ।
एक सौ एक यह म॒हरे, चुनो बहुरूपिया भई ॥४।॥ -
। दोहा
नकली का व्याख्यान सुन, जल बल हो गया নুহ |
कपि पति बोला गज कर, जेसे बन में रोर ॥
दम्भी प्रप5ुछणी यहा, करता क्या खर नाद् ।
भेष बनाने का अभी, तुझे मिलेगा स्वाद |
अभी मिलेगा स्वाद काल, भक्तण तुम को आता हे ।
नकली बनकर आप धोंस, खर हम को दिखलाता है ॥
अवकाश नहीं है बचने का, क्या मन में पछताता है ।
मरने के डरसे अब, क्यो पीछे हटता जाता है ॥
सुग्रीव का गाना
काल तेरा उठा लाया, तुमे में आज कहता हू ।
च छोडू' अब तुझे चिड़िया, आगया वाज कहता हूं ॥१॥
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