दिवाकर दिव्य ज्योति | Divakar-divya-jyoti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[५
प
छ
1
(|
(
ছা त 99
69४
95
98
&
&
त
सन का महमा
তন त
इत्थं यथा तव विभूतिरभूज्जिनेन्द्र |
` ` , धर्मोपदेशनविधौ न तथा परस्य ॥
याटक् प्रमा दिनङृतः प्रहतान्धकारा ।
ताद्क्छृती ग्रहगणस्य विकाशिनोऽपि ॥
भगवान् ऋषमदेवजी की स्तुति करते हुए आचाय महा:
राज फरमेति है-हे सवंज्ञ सवेदर्शी, अनन्तशक्तिमान् पुरुषोत्तम,
सगवन् ! आपकी स्तुति कहाँ तक की जाय ? भगवन् , आपके गुण
कहां तक गाये जाए ? धमं का उपदेश देने कौ विधि जेसी च्रापकी
है, चैसी दूसरे की नहीं । अंधकार का नाश करने मे सूयं जो काम
देता है, वह तारे नहीं दे सकते! सूर्य के मुकाबले में प्रह, नज्ञत्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...