देवाद्रव्यादिसिद्धि | Devadravyadisiddhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Devadravyadisiddhi by विभिन्न लेखक - Various Authors

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(५) ~ कर, पूवेंधर श्रीजिनभद्रगणिक्षमाश्रमण, देवाद्धिंगणिक्षमाश्रमण, जाचाय्यं महवादि, श्रीहरिभद्रस् रीश्वरादि जितने पमावक आचार्यं हुए हैं और महाराजा सम्पतिराजा, कुमारपाल महाराज, विमलशाह, वस्तुपाल, तेजःपाल, पेथड, शब्रुल्लयआदितीर्थोद्धारकः जितने प्रभावक आवक हुए हैं उन सवको धरा तैरनेवाठे जाहिर करके अपनी अकलकी कीमत बतकाई है, मुझे अफ्सोसके साथ बिचारे * बेचरदासकी ` कुबुद्धिं पर दया आती दहै ओर उसकी कुबुद्धि- को धिक्कार देते हुए मुझे कहना पड़ता है कि हाय ! इस दुष्ट बुद्धिने बेचारे वेचरदासकी आत्माको अंध नरकावनीमे पहुंचाने का प्रयत्न किया है, और जैनपत्रके एडिटरने भी पूर्वोक्त शासन- प्भावकपवित्र आचार्यौका एवम्‌ आवकोंका तमस्तरणसूचक ४ तमस्तरण ” नामक लेखको प्रकट करके उसने पवित्र जैननामकों ही कलड्लित नहीं किया बल्कि मनुष्य अपने उद्रप्रणके लिये नीचसभी नीच कमं करने पर उचत होजाता है यह सावित कर दिखाया है, उसने “ जैन ” पत्रको जैनाभास ओर जैनसमाजके लिए सहायक नहीं किन्तु निरर्थक कर दिखाया है और साथ ही अपने आपको “अधोगतिम पहुंचनेका लोंको- को भान कराया है, उसने ओर भी शासन विरुद्ध काये क़िय हैं परन्तु यहां अग्रासंगिक होनेसे नहीं छिखे जाते, अफसोस है कि वेचरदासने शासनप्रभावक आचाय्योंकी निन्दक अपनी कुबुद्धि को रोकनेका-अजपने हृदयसे जूदा करनेका जृरा भी प्रयत्न नहीं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now