श्री देववंदनमाला प्रारभ्यते | Shri Devvandnamala Prarabhyate
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| ( १९ ) क्
--.-, ॥ अथ खमासमाएना दोहां ॥ -
7 समकरित श्रद्धावंतने, उपतन््यों झान प्रकाश ॥ प्र-:
णमु पदकज तेदना, नात्र धरीने लच्लास ॥१॥. ए दहो
गुण गुण दीछ कहेवो ॥ खमाण्॥ १॥ ;
॥ दोहा ॥
॥ नहीं वर्णशादिक योजना, अथांव्भह होय ॥ नों
इंद्धिय पंच इंडियें, वस्तु महण कांइ जोय ॥५॥ समण।
वय व्यतिरेकें करी, अंतर मुद्दृते प्रमाण ॥ पंचेंद्धिय
मनथी होये, इहां विचारणा कान ॥३॥ समण ॥ वर्षा
दिक निश्चय वसे, सुर नर एह्ज वस्त ॥ पंचेंद्िय म-
नथी होये, जेद अपाय प्रशस्त ॥ ४॥ समण० ॥ निर-
शितः वस्तु स्थर भठे, कालांतर पण साच ॥ पंचेंडिय
मनथी होये, धारणा अथे-छवाच ॥ ० ॥ समण० ॥ नि-.
श्रय वस्तु अहे छते, संतत ध्यान प्रकाम ॥ अपायथी
अधिके गुण, अविच्युति घारणा- ठाम ॥ ६ ॥ सम० ॥
अविच्यु ति स्वृतितएं, कारण कारण जेह ॥ . सख्य अ
संख्य कालज सुधी, वासना घारणां तेह ॥ 9 ॥ समणा
पूर्वोत्तर दशन छय, वस्तु अप्राप्त एकत्त॥ असंख्य काल
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