अमृतलाल नागर के कथा साहित्य | Amritlal Nagar Kay Katha Sahataya

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Amritlal Nagar Kay Katha Sahataya  by सरोज - SAROJ

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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14 नवजागरण का संकेत देती है । पीढ़ियाँ मूलतः राजनीतिक वस्तु पर आधारित। हिन्दू-मुल्लिम संबंधों को इतिहास के दायरे में जांचना पीढ़िया के लेखक का उद्देश्य जान पड़ता है। नागर जी आधुनिक कथा साहित्य के ऐसे महत्वपूर्ण लेखक है जिनके पास इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व, दर्शन, कला आदि की विशिष्ट समझ है । वे घटनाओं के देशकाल को मूर्त करने की दिशा में सतत्‌ प्रयत्नशील है । समाजशास्त्रीय दृष्टि से देखा जाय तो नागर जी की दृष्टि एकांकी नहीं है। उन्होने इतिहास रचना के मूलं में कार्यरत राजनीतिकं चेतना ओर परिस्थितियों के दबाव को भी लक्षित किया है। षष्ठम अध्याय मे नागर जी के पौराणिक-सास्कृतिक उपन्यासो का समाजशस्मरीय दृष्टिकोण से विवेचन प्रस्तुत किया गया है । नागर जी का सम्पूर्णं कथा साहित्य भारत की प्राचीन संस्कृतिक से जुड़ा हुआ है । उनके उपन्यासो मेँ सास्कृतिक संस्पर्शं इतना गहरा होकर आया है कि उन््की रचनायें इतिहास, पुराण, संस्कृति , धर्म ओर दर्षन की छवि बनकर पाठकीय संवेदना को अभिभूत करती है। संस्कृति विचार आदर्श-भावना ओर संस्कार प्रवाह का एक सुसंगठित ओर सुस्थिर संस्थान ই जो मानव को सहज ही पूर्वजों से प्राप्त होता है । सच्ची संस्कृति भूत, भविष्य और वर्तमान को एक सूत्र में बांधती है । इतिहास संस्कृति का सहोदर है । नागर जी धारा रचित पौराणिक - सांस्कृतिक उपन्यासो मे एकदा नैभिषारण्यें, मानस का हंस” , और खंजन नयन आदि प्रमुख है। नागर जी ने सांस्कृतिक दृष्टि से अपने उपन्यासों में उन घटनाओं का सजीव चित्रण किया है, जिनकी जड़ अतीत में सोयी हुई है। एकदा नैभिषारण्ये पौराणिक संदर्भों, से युक्त , ऐतिहासिक घटनाक्रम में राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को प्रस्तुत करता है । लेखक की व्यापक एकदेशीयता ने एक विशेष भूखण्ड को समक्ष रख के भी सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति को टी दृष्टि मे रखा है ओर उसे मानवता बोध की आधुनिक संवेदनशीलता से सम्पुष्ट किया है । विभिन्न धर्मों की संघर्षी स्थितियों ने नैभिषारण्ये के महासत्र की पृष्ठभूमि भार्गग ऋषि सोमाहुति ओर कण्व वंश परम्परा के नारद देवव्रत के स्वप्नों के भावजगत रा तैयार की जाती




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