दयानन्दकेयजुर्वेदभाष्यकी समीक्षा | Dayanandkeyajurvedbhashyaki Samiksha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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। ( ६)
লিগ বিজ हैं कहिये दोनोंमें कौनसा लैस सत्य और
कौनसा भट है? ¦ यहां उक्त सत्याथेप्रकाशक्े पष्ठ ३३२ का
न्याय स्तरणोय है कि इन दोनोंमें से एक बात रची दूसरों
. झूठी ऐसा होकर दोनों बात कठी ॥
पष्ठ, २४९ जो २(एनः )पाप वा अधम करा वा करेगे
सो सब, दूर करते रहै-पष्ठ २४६ सन आदि इन्द्रियों से
किया वा मरण घमवाले शरोरों से किये हुए (एनः )'
पापोंको: टूरकर शुद्ध होता हूं-पश्ठ २८३ पापों से निदृत्त
होना-पृष्ठ ४५३ ढटगये हैं पाप. जिनके-पष्ठ ६९९१ पाप
के दूर करने वालेहो--पहु १४५८: अच्छेमकार पार्थो
निदृत्ति करने हारा कमें--अ्ध्याय २२ पष्ठ १५७' जिससे
पाप रहित कृतकृत्य होकर--अध्याय ३४ पृष्ठ १०६५
पापोंको शुद्धि किया करो-अध्याय३३ पृष्ठ १४९२ हमारे
पापको शी प्र सुखादेवे-अच्याय ३१ पृष्ठ ९९४० हमारे नि
कटसे पाप को दूर कोजिये-अध्याय ३ पष्ट ६९११ ह*
सारे ( अ्रघम्) पापको शीघ्र दूर करे-शच्याय रेई पृष्ठ
११४ है भगवन् इश्वर! पाप हरने वाले-अध्याय ३९ पृष्ठ
१२५४ पाप निदृत्तिके लिये ॥
दयानन्दाजुयाणियोंका रिद्वाल्त है कि पाप द्विना भोग
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