सोवियत संघ से निरक्षरता उन्मूलन | Soviyat Sangh Se Nirksharata Uanmoolan

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Soviyat Sangh Se Nirksharata Uanmoolan by हरी स्वरूप - Hari Swaroop

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय २ भयावह उत्तराधिकार सोवियत ताजिकिस्तान की राजधानी दुश्शावे मे शिक्षा संग्रहालय में कुछ ऐसी बातों का रहस्योद्घाठन हुआ जिनकी मैंने कल्पना भी नही की थी। साक्षरता तथा निरक्षरता के दीघंकालीन ग्राफ-चित्रों से यह बात स्पष्ट दिखाई देती थी । दु्शावे में, और उजबेकिस्तान (ताशकन्द, बुखारा, समरकद) तथा अन्य स्थानों में बडी उम्र के जो उच्च शिक्षा प्राप्त लोग थे उनमें से अधिकांश ऐसे थे जिनके माता-पिता सभी निरक्षर थे और सभी नौजवानो के दादा-दादी या नाना-नानी अनिवायं रूप से ऐसे लोग थे जिन्होंने कमी किताव छुई भी नहीं थी। यह वात सचमुच आइचर्ये- चकित कर देमे वाली थी। लाखो सोवियत श्रमजीवी लोग, जिनमें मंत्री न्यायाधीश, प्रोफेसर, वकील, कृषपिवेत्ता, डावटर, अभिनेता, लेखक और कलाकार सभी शामिल थे, ऐसे परिवारों के थे जो कई पीढ़ियों से स्वेधा निरक्षर रहे थे। आज कोई भी निरक्षर आदमी ढूंढे से नही मिलता, ओर पहले स्थिति यह थी कि कोई साक्षर आदमी नही मिलता था। रति से पहले जारशाही के दौर में जन-साधारण को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी या इसके योग्य नही समझा जाता था। मध्य एशिया के वासियो मे--उजयेक, ताजिक, किरमीज, तुकंमेन तथा अन्य जातियों के लोगों मे--निःरक्षरता मानो नियम था ओर साक्षरता उसका अपवाद । सौर इस अपवाद में--कभी कोई स्त्री तो आती ही नही थी । रूस के दूसरे भागों में भी स्थिति इससे कुछ बहुत अच्छी नही थी। “शाही सरकार शैक्षिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के वजाय जागृति फलाने के काम मे वाधा डालने का भरसक प्रयत करती थी” (एल ०, पावलोन्स्की, एजुकेशन अन्डर कम्युनिज्म', एजुकेशन रिव्यू,




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