अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधि | Antararshtriya Gatividhi
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
574
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामेन्द्र नाथ चौधरी - Ramendra Nath Chaudhary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स॑ष्टीय স্মত্মঘন। (15905600051 8৮5৫163) जुलाई 1059 मैं प्रारम्भ हुई। इस
पत्रिका में संस्था के सदस्यों द्वारा किये गये झनुसंधानों के परिणाम प्रकाशित होते है ।
चौथे, इस विश्वविद्यालय की एक भ्रन्य विद्येपता पुस्तकालय में एक विशेष
विभाग की स्थापना है! समस्त भारत में केवल यहीं का पुस्तकालय ऐसा है जहाँ कि
समाचार पन्नों की कतरनें क्रमबद्ध ढंग से विभाजित की जाती हैं व उन्हे फाइलों में
सुरक्षित रखा जाता है । 19049 से अब तक 4 लाख कतरनें एकन्नित हुई है। इनमें से
80,000 एशिया व 70,000 भारत से संबंधित हैं। इस प्रकार इस संस्था का
पुस्तकालय समस्त एशिया में सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है जहां कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों
से सम्बन्धित पर्याप्त सामग्री प्राप्त है । इस पुस्तकालय में लगभग 50,000 पुस्तकें एवं
4200 लघु-फिल्म हैं ।
पाँचवें, इस संस्था में समय-समय पर विशेष भाषण जैसे सरोजिनी नायडू मेमो-
रियल लेक्वर व इस क्षेत्र में विद्वान् व्यक्षिययों की विचार-गोप्ठो सप्रू हाउस में झ्ायो-
जित की जाती है। विदेशों के ख्याति प्राप्त श्राचार्यो को भी विद्यालय में झ्रामत्रित
किया गया है। इनमे जापान के प्रोफेसर के० इनोकी, शिकागो विश्वविद्यालय के
प्रोफेसर क्युन्सी राइट और कैम्ब्रिज युनीवर्सिटी के प्रोफेसर निकोलस मैनसर्ग अधिक
प्रसिद्ध हैं ।
इस संस्था के तत्वावधान में श्रमेक विचारगोप्ठियाँ श्रायोजित की गई जिनमें
निम्नलिखित अधिक प्रसिद्ध हैं :--
1. एशिया मे प्रजातंत्र
2. संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति के क्षेत्र मे देन
3. भारत भौर राष्ट्रमंडल
4. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध झौर क्षेत्रीय अध्ययन
5. एशियायी देशों की विदेश नीति शोर तटस्थता
22 फरवरी से 3 मार्च 1965 तक देश के 40 विद्वानों ने इस संस्था के तत्वा-
बधान में विचार-विमर्श किया और भारतीय विश्वविद्यालयों में 'अ्रन्तर्सप्ट्रोय श्रध्ययन!
व एशियायी देक्षों के क्षेत्रीय अध्ययन की सुविधा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान
समिति को सिफारिश की। संस्था द्वारा प्रकाशित विशिष्ट पुस्तकों में से एक
विद्याप्रकाश दत्त रचित “चीन की विदेश नीति! (1958-69) भी उल्लेखनीय है | यह
संस्था इस समय एशिया की एक महान संस्था बन गई है, क्योंकि इसमें चीन व रूस
के विशेष अध्ययन की सुविघा भी प्राप्त है ।
राजस्थान, पटना, जादवपुर, अलीगढ़, इलाहाबाद, लखनऊ और उत्कल विश्व-
विद्यालयों में इस विपय के डिप्लोमा कोर्स की व्यवस्था है । भारत सरकार द्वारा
सम्बन्ध' (1837-77); कुमारी टी० करकी का “भारत चीन सम्बन्ध (1049-55) वे
एस० चौधरी का “भारत में राष्ट्रीयया का विकास” (1005-37) ।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध का अध्ययन 9
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