वात्सल्य रत्नाकर | Vatsalay Ratnakar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vatsalay Ratnakar  by उपाध्याय श्री भरतसागर-Upadhyaay Shree Bharatsaagar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उपाध्याय श्री भरतसागर-Upadhyaay Shree Bharatsaagar

Add Infomation AboutUpadhyaay Shree Bharatsaagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कथ ह या মসলা परम पूज्य, प्रात स्मरणीय, तपोनिधि, सन्मार्ग दिवाकर, चाखि चक्रवर्ती १०८ आचार्वश्री विमल सागरजी महाराज वर्तमान युग के प्रमुख आचार्य है। आचार्य परमेष्ठी पद पर विगजमान, छत्तीस मुलगुणो के धारक, रलत्रय के साधक, बाल-ब्रम्हचारी, परम तपस्वी, परम विद्वान, पूज्य आचार्यश्री दशक वर्षों से प्रतिष्ठित आचार्य है। चतुर्विध सघ से सुशोभित पूज्य आचार्यत्री के अनेको शिष्य पूरे भारत मे आचार्य, उपाध्याय, मुनि एवं आर्यिका जैसे पावन पद्दो पर प्रतिष्ठित हैँ तथा धर्म के प्रचार-प्रसार मे अविस्मरणीय योगदान कर रहे है। दीक्षा और सयम की दृष्टि से आप वरिष्ठतम है। सत्य, अहिसा, दया, शान्ति, सयम, দে ब्रम्ह्चवर्य के आप प्रतीक है। सूर्य सा तेज, चन्द्रमां सी शीतलता, सागर जैसी गम्भीरता, पर्वत जैसी मिर्भीकता आचार्यश्री का व्यक्तित्व है। वे त्याग ओर वैराग्य की, धर्म ओर अध्यात्म की, সাবু ओ की साक्षात्‌ मूर्ति है। सतत साधना एव तपश्चर्या ही आपका जीवन है। | টিসি सर्वोपरि है। पूर्वं से परिचम तथा उत्तर से हद, आपकी प्रेरणा से कोनेकोने में अनगिनत जिन पधात्‌ मक्का निर्माण एव जीणोद्धार हभ है। जिनबिम्बो की प्रतिष्ठा कराने मे आचार्यत्री का परम योगदान জব দন্দ নি বি জিনসবিদারি জবির ভ্ী রী है। घर-घर मे मन्दिर हे, सदाचार हे, शी, पर ती भावना रहती ह। वात्सल्यमूर्ति, करूणा सागर, लोक शचाणकारों, जगत्‌ हितेपी, लक प्रसिद्ध, अत्यन्त उदार आचार्यत्री अत्यन्त लोकप्रिय है। आपकी आत्मा जन-जन के कद्धाण मेंकसलकहै। आ्ुहका वात्सल्यभाव मानव कल्याण में हर समय अग्रसर रहता है। आप आत्म दर्शन के মি অর কঞঞ্রুং लोक यात्रा मे ससार के अनन्त प्राणियो की अपार सहायता करते है। आत्मा সীমানা ক্যা आपके जीवन का प्रमुख लक्ष्य है। आप सर्व हितकारी है। निमित्त ज्ञानी आचारयत्री अन्तर्दृष्टा है। आपकी अहर्मिश तपस्या के प्रताप से अनगिनत लोग कृतञ्च हो चुके है। आपकी आत्मसाधना तथा तपश्चर्या मानव कल्याण के लिए अप्रतिम वरदान है। आप मानव को सासारिक दुखो से मुक्ति दिलाकर अणुत्रत धारण करे के लिए प्रेरित करते है। आचार्यश्री के दर्शन से सिद्ध वीर्थो के दर्शन का अनुभव एव पुण्य होता है। आचार्यश्री चलते फिरते जैन तीर्थों में सम्मेद शिखर है। पूज्य आचार्यश्री जैन धर्म ओर भ्रमण कै कि दक्षिण पुरे भारत मे आचार्यश्री ने अनेको ब्र मन्दिरो, पठशालाओ, पुस्तकालयो, ॐ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now