जीवन की रंगीन रेखाएँ | Jivan Ki Rangin Rekhaye
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मनोहर मुनि जी महाराज - Manohar Muni Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){~ ও ]
भौर कहते थे बड़ बड़ सेठों ने मिखाइयां मौर बादाम का हमा मी
बहराया'होगा वे तो याद नहीं रहे पर वह घाठ तो आजमभी याद है 1
हि এ { ७ ) , ह । बह
... -कानोड़.में एक बार महाराज श्री प्रात: बाहर जा रहे थे एक
भाई ज्वर में 'तंप रहा था बोला महाराज मांगलिक सुना दीजिये।
महाराज श्री ने प्रमु पादवेवाथ का छंद और मंग्रेलिक सुनाई तीन घंटे
भे जवर उतर गया । उन दिनों कानोड़ में यह हवा फैली हुई थी
धर घर में छोंग वीमार पढ़े थे। मांगलिक से जहां एक स्वस्थ हुआ
उसने दूसरे के कानों वात पहुंचाई दूसरे ने तीसरे के कानों पर धीरे
बात फँछ गई अब तो प्रातः और ` सायं जिस ओर. महाराज .कै बाहर ,
जानें का रास्ता था भीड़ लगो रहनी । जाते हो लोग धेर छेते गुरूजीं
तीन दिन से बीमार हूँ बुखार ने हड्डी ढीली करदी एक छन्द सुनादों |
महाराज छन्द भौर मांगलिक सुनाये बिना आगे नहीं बढ़ पाते। कभो
जह्दी में मांगलिक ही सुना देते तो लोग कहते नहँं। गुरूजी छन्द सुनाइये
मापको कष्ड तो होगा पर मेरा रोग दुर আমমা। .
मांगलिक सुनकर जौ स्वस्थ हो जाता वह आता गरूदेव के
चरणों मेँ यन्दना कर कहता गुरूजी आपने मुझे अच्छा कर दिया ॥
गुरूदेव कहते भाई यह तो तुम्हारे साता वेदनोय कर्म का उदय हुआ और
तुम अच्छे हो गये उसमें मेरा क्या, है ?
भावुक मक्त तौ यही कते हमको दुः घे छृढाने पाटे याप ह्ये
भीर हमं कुछ नहीं जानते 1 * `
আজ ক এ
छोटा सा गाँव था । किसानों के सो घर होंगे। घूमते हुए महा-
राज भी उस गांव में पहुंचे । सभी साधुओं को-भूस तो तम र्दी धी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...