मारवाड़ की चित्रकला | Marwar Ki Chitrkala
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
प्रस्तुत शोध प्रवाघ 'मारवाड की चित्रकला में राजपूतों के राठौर राजवश के सरक्षण में
स्थापित राज्य मारवाड' ঈ चित्रित चित्रो की शलीगत विवेचना की गयी है । मारवाड के राजनेतिक
एवं सास््कृतिक परिवेश मे चित्रित पृष्ठभूमि (वादल, वक्ष, वास्तु आदि), सयोजन, रग, आकृति, रचना,
वेषभूषा, आकार आदि की सूक्ष्म विवेचना के आधार पर चित्रो का विकास दिखाते हुए चित्रशली के
कालक्रम निर्धारण का यहा प्रयास क्या गया है। तिधियुवत चित्रों का आधार लेकर इस कालक्रम
निर्धारण को प्रमाणिक बनाने की कोशिश की गयी है ।
राठौर राजपूतो ने मारवाड राज्य की स्थापना की | कालान्तर मे उसी राजवश ने क्रमश
बीकानेर! और 'किशनगढ़' दो और प्रमुख राज्यों को बसाया । किशनगढ़ के चित्रों की विपुलराशि
विद्वानों ने समय पर प्रकाशित की है। हाल के शोधो मे बडी सख्या में बीकानेर के तिथियुकत, लेखयुवत
चित्रो, चित्रो एवं चित्रकारों मे सम्बन्धित लिखित सामग्री (बहिया आदि) को नवलक्ृष्ण ने खोज
निकाला, जिससे उत्साहित होकर मैने नीकानैर' व॒ (किशनगदढ' चिनशलियो को जन्मदात्री भारवाद
चित्तरशैली के विभिन सग्रहो में बिखरे चित्रो को एकत्र कर सामने लाने का प्रयास किया ।
नवलकृष्ण द्वारा किये उक्त अध्ययन की रोशनी मे मैंने विशिप्ट रूप से मारवाड केद्र के राठौर
कला तत्वों की विवेचना की । साथ ही साथ इस पँतक केद्ध की चित्रशैली ने किस हृद तक बीकानेर व
किशनगढ के चित्रो को प्रभावित किया, इन दीलिय। के आपसी प्रभाव, इनके केद्रो से एक दूसरे केद्रो
पर चित्रकारो के स्पानान्तरण आदि तत्वों को विवेचित किया ।
मारवाड शासको का मुगलो के साथ धनि७्ठ सम्बध (राजनतिक एवं त्रवाहिक) था । फलत
मारवाड के दरवार मे मुगल कला एवं सस्कृति आयी तथा वैवाहिक सम्बधों क परिणामस्वरूप मुगल
राजपूत कला एवं सस्कृति का आदान प्रदान भी हुआ | मारवाड के शासकों ने लगातार पाच-छ पीढी
तक अपनी बेटियों का विवाह मुगल शाहजादो से किया तथा लम्बे समय तक मुगल दरवार में प्रमुख
मनसबदार के रूप में रहे । इन सम्बधों के परिणामस्वरूप मारवाड के चितो पर मुगल चितो का गहरा
प्रभाव स्पष्ट होता है । मारवाड के शासक मुगलो की ओर से दवकन मे भी नियुक्त थे। काल विशेष
में यहा के चित्रो पर घश्ते मुगल-दवकनी तप्वो का वि लेषण भी यहा क्या गया है। बीकानेर व
किशनगढ़ चित्र शलिया भी पूरी तरह मुगल प्रभावित हैं। प्रद्यपि कुछ समान मुगल तत्व परे राठौर
क्षेत्र (मारवाड-बीकानेर किशनगढ़) मे स्पष्ट होते हँ 1 इसके वावज॒द मारवाड ली के मुगलतत्व
बीकानेर के चित्रो से भिन प्रकार के है। बीकानेर शली पर गहरा मुगल एवं दवकनी प्रभाव मारवाड
चित्रशली से भिन प्रकार का है | मारवाड के चित्रो के वृक्ष, सपोजन, पसर्पक्टिव की तकमीक आदि
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