मनोरंजक बाल कहानियाँ | Manoranjak Baal Kahaniyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Manoranjak Baal Kahaniyan by बलवीर त्यागी - Balavir Tyagi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बलवीर त्यागी - Balavir Tyagi

Add Infomation AboutBalavir Tyagi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
काम छाड कर बगांच पदा चल आयं वहा एक अगरेने का पेड से वधा देस कर नृ ग्ण सफट पड गये न जाने अब गाव पर्‌ कौन आफत आय? मारीच उन्हे देख कर जोर से चिल्लाया, “मुझे इस बाग के मालिक ने लूट लिया है मे “से मिले का कलेक्टर हूं। इस बाग के मालिक को सख्त से सख्त सजा दृगा। आप लोग खड़े क्‍या देख रहे हैं। मुझे जल्दी खोलो, ताकि बह कहीं भाग ने जाये। मुझे उसका नाम बताओ ! मवरं चमं ने एक-दूसरे कः मुंह ताका। किसका नाम बतायें। अगर जमीदार का नाम लिया तो कलेक्टर साहब उसे कड़ी सजा देंगे और फिर नाम बताने बाले की शामत आथी समझो। उनमें से एक को सूझा, क्‍यों न मेलाराम माली का नाम बता दिया जाये। इससे नमीदार भी प्रसन होगा और अंग्रेज साहब का लुटेग भी मिल जायेगा। शायद साहब खुश होकर कोई इनाम भी दें। कुछ दिम पले माली पालिक था ही बाम का। बस, उक्त ने मालों का नाम लिया तो सभी ने उसको मालिक बताया। पेड से खोलमे के बाद मारोंच बीला, “आप सब लोग गांव चलिए! वहा पर कार्मवार्शी की जायेगी।'' 'जमीदार की बैठक पर सारे गांव के लोग इकट्ठे हो गये। माली को भी बुलबा लिया गया। मारीच के सिपाही उसका घोड़ा माली के घर से ले आये। মলাযান भय के मारे बुरी तरह कांप रहा था। जमींदार कलेक्टर साहब और उसके सिपाहियों की आवभगत में भागा-भागा फिर रहा था। वह मन-ही-मन खुश था कि अब खत की कोई बात नहीं। मेलाराम तो अब जेल में चक्की पीसंगा। सारे गांव ने गबाह़ी में मेलाराम को बाग का मालिक बताया है और साहय का घोड़ा भी उसके घर से बरामद हुआ है। लेकिन जब मारीच ने फैसला सुनाआ तो जमींदार सिर पकड़ कर रह गया। बाग मेलाराम को दे दिया गया और पटवारी को खतीगी में गलत काश्त भरने के जुर्म में नौकरी से निकाल दिया गय) (>~ मारीच का नसय ^ 10 ~)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now