रघुवीर सहाय की काव्य चेतना और रचना शिल्प | Raghubeer Sahay Ki Kabya Chetana Aur Rachana Shilp

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Raghubeer Sahay Ki Kabya Chetana Aur Rachana Shilp by राजदेव दूबे - Rajdev Doobe

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सन्‌ 1951 ई0 में दूसरा-सप्तक प्रकाशित हुआ। अज्ञेय जी संपादन एवं संकलनकर्ता थे। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन काशी द्वा यह भाग भी प्रकाशित हुआ। भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती आदि सात कवियों का इस अंक में उल्लेखनीय योगदान रहा । यह देखा गया कि तार-सप्तक के प्रकाशन से अनेकानेक विवाद उत्पन्न हुए , जिसके कारण दूसरा सप्तक की भूमिका में अज्ञेय ने बहुत सारे विवादों का निपटारा करने का प्रयास किया। दूसरा-सप्तक के छठे प्रमुख कवि के रूप में रघुवीर सहाय अते हे दूसरा-सप्तक' के प्रकाशन के साथ ही रघुवीर सहाय की बहुत सारी कविताएं प्रकाशित हुई अपनी काव्य यात्रा में इन्होंने बच्चते ओर माथुर को याद क्रिया है। अज्ञेय ओर शमशेर बहादुर सिंह की रचनाओं से भी सहाय ने बहुत कुछ सीखा है। वे सर्वत्र सामाजिक यथार्थ तक पहुँचने केलिए वेज्ञानिक तरीका अपनाते हे। यह उनकी मार्क्सवादी चेतना हे। क) नुत वे शमशेर बहादुर सिंह के ईसं वक्तव्य को स्वीकार करते हैँ कि- जिंदगी मं तीन चीजों/ बड़ी जरूरत है। अक्सीजन, मावरसवाद ओर अपनी वह श्ल जो हम जनता में देखते ह ০৯ 1 ए 8 ए. 1, 8 নার সি হার নও ওত বে 0 1 11 1 दूसरा सप्तक की भूमिका सं0 अज्ञेय 1951 भातीय ज्ञानपीठ काशी, रघुवीर सहाय का वक्तव्य , पृ0 138




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