पगली | Pagali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला সন্ধান
স্পা পা नमी नानी जाम पूल ডা न वा সপস্ त नव मनी সী পপ আপ আশ” जनम সপ সপ সপ পল সাল পা ০
हं । लगा अमे दादीजार अपने जोगकी करामातें दिखाने ।
अखंड समाधि साथ कर भोलेभाले बच्चोको बहकाता था।
प्वासों नवयुव इसके वेढे हयो गये । अरे, वह पक्का-पोढ़ा धूर्े
था ¦ तुमह मादस न होगा, मे दिले मीतरकौी खवर लनेनाले
हु' | उस पहुंचे हुए सिद्धके भीतर पेठ ही तो गई । हा हा हा हा
हा हा हा ॥ सिद्ध बाबाकी ध्यान-पिटारीमें क्या-क्या अमोल रक्त
मेरे हाथ आये | कई बनी-ठनी चन्द्रमुखियां ओर ढेंर-की-ढेर
अशर्फियां ! काम, क्रोध, छोसम ओर मोहकाही उसके अल्तरा-
लयमें अखण्ड साम्राज्य था। दुर्वासनाओंके दुर्गेन्धक मारे
मुझ घिनोनीकी सी नाक सड़ी जाती थी। घबड़ाकर बाहर
निकर आयी ¦ शौर सिद्ध बाबाको मेंने ऐसी लातें और ऐसे धूसे
जमाये कि कहीं तो गिरी ट्ट-टाट कर उसकी रुद्राक्ष-माला, और
कहीं गया छुड़कता हुआ पाजीका दण्ड-कमणडछ ! हा हदा हा
हं। हा हा !|
अरे हां; तेरे कारन ज्ञोग लियो है,घर घर अलख जगाई।
श ৯০০০
जोगिया, तू कबरे मिलेगी आई ।
न भूख है, म प्यास। नहीं नहीं, प्यास तो है ओर बड़ी
तेज दै । उस प्यासचे ही म छटपटा रही हूँ | पर उस प्याससे
क॑ड ओर ओट नहीं सूखते, आंखें सूख रही हैं । हवा !
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