रेखाएं | Rekhaen
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1
. मन में पावस है 4
রি, हर समय आसमान में बादल छाए रहते हैं | मेरे मन में भी इसी...
५१ +
तरह घनघोर बदली छाई रहती है ! | | ' |
कौन जने हृदय की आङुलता क्यों १ मन का रहस्य क्यों इतना `
अज्ञात है ? ही
पृथ्वी पर बूँदें पड़ती है! | मेरी आँखों से भी सावन की भड़ी ला...
जाती हैं! आँसू की यह बरसात क्यों मेरे प्राणों को बहाने के लिये...
उत्सुक है १
रह रह कर विजली चमक रही है ! बीच बीच में मेरी आशा भी इसी
प्रकार ग्रकाश दिखाती है !
केसे रोक पाऊँ इसे १
जीवन तो दुःख का छोर पकड़ कर उलम गया है। भिल्नियों की
कर्कश मंकार से दिशाएँ चौंक उठती हैं ! मेरी अपनी ही करुण-पुकार उर
को विदौर्ण कर देती हे !
वह शान्ति का स्वर भी इससे टकरा कर लौट जाता है !
২৪ )
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