शिवराज भूषण भाग 5 | Shgivraj Bhusran Bhaag -5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(( १७ )
` दच्छिनि के सब्र ग जिति, -दुग्ग सहार विलास ।
सिव सेवक सिव गदूपती, कियो गयगदृ-बार |)... ~ :
और उसके बाद कई छन्दो मं उसी रायगढ़ का बर्सन किया है । आगे
-भी तद्गुण अलंकार में रायगद की विभूति का वर्णन है। इतिहास को देखने
से पता चलता है, कि सं० १७६६ ( सन् १६६२ ) में शिवाजी ने सयगट को.
“अपनी राजधानी बनाया | शाहजी की मृत्यु होने पर शिवाजी ने अदृमदनगःर
द्वारा प्रास्त पैतृक राजा की उपाधि => चारण कर संवत् १७२१ (सन ‹ ६६४).
'উ सयगद् मे टकसाल ल य ^ ৬৫৮১৬ ৫০১৭ हु द
भूषण का कथन इस ऐतिहासिक वशणुन का समर्थन करता हे, ग्रतः
यह तो निश्चित है कि भूषण शिवाजी के पास. तभी पहुँचे होंगे, जब वे रायगद ৯৫
भें वास कर छुके थे और राजा की उपायि धारण ,करं चुके थे । 7
_ मिश्रबन्धुओं का मत है, कि भूषण संबत् १७२४ ( सन् * ६६७ ) में.
शिवाजी के पास गये | इसके लिए. वे निम्नलिखित युक्ति देते हैं--यदि भूषण
-संवत् १७२२ (^ सन् १६६६ ). से पहले शिवाजी के पास पहुँचे होते तो जब
शिवाजी औरंगर्जेंब के दरबार में गये थे, तब भूषण दचिण से अपने घर चले.
आये होते और फिर एक दी साल में यात्रा के साधनों के अ्रमाव में इतना
लम्बा सफर करके अपने घर'से फिर महारा् देश तक न पहुँच सकते । লিগ- `
बन्धुओं की यह युक्ति -एकंदम उपेक्षणीय नहीं, रतः दम समभते हैं कि भूषण . ।
.स०,९७२०.या १७२४ मे शिवाजी के दखार में: पहुँचें गि । ` ह
সনম रहा दूसरा प्रश्न कि भूषण शिवाजी के दरबार मं केव तक रहें
“और क्या भूषण शिवाजी के दरबार में एक ही बार गये अथवा दो बार ।
1 शिवरंज-मूषस तथाः उनके अन्य आस पंद्यों में:शिवॉजी के -शाज्याभिषेक जैसी...
महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख'न देख कर जहाँ यह प्रतीत होता है, कि भूषण , द
>राज्यामिषेक से पूर्व ही हि बाजी से पर्यात्न पुरस्कार पा कर अपने घर জীত গ্সাব कै
'होंगे, वहाँ फुटकर छुन्द् सं? ९: में “मूषण भनत कॉल करत कुठुबशाह चाहे...
हुँ ओर रच्छा एदिलसा मोलिया फुटकर छद संख्या २५ मे “दौरि कर
नाटक मैं तोरि-गढ़कोंट - लीन्हें -मोदी खो पकरि लोदि सेरखाँ अचानक
“ताहि, ॐ. .स्पूत, सिवशज. वीर तैने तब
चै
तथा फुटकर छुंद्र ,सं० ३३ में ;
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