आदर्श विभूति | Adarsh Vibhutiya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किचिदितिवृत्तम्
&
लोकाशहे युलो आगमान्ि मयन्थ सा |
मति मन्थानकं श्रवा नेशंचक्र स्वसन्कृतिषर् ॥२१॥
अर्थ:--छोकागाह में अपूुर्द गृण था, जिससे कि वुद्धि सप मन्यन दण्ड से
उन्होंने आगम समुद्र को मथ लिया और अपनी कीर्ति की इच्छा नहीं को ॥रह॥
ग्रावात्सीत्सद्टः सेवार्थ: व्याचख्यावागम स्वकम् |
इति बृर्च् तमोलीनं, तदीयं नोपलम्यते ॥२१॥
अर्थे--आपने संघ सेवा के छिये अवास किया, और अपने श्गों पर
व्याद्यान दिया, फिर भो आपका पूर्ण इतिहास अन््रकार मं ही हेः जोकि
दृष्प्राप्य हैँ २२)
कथ्िंद् श्र ते चहु-विभववान् भूरि विद्मनभृत्सः,
ध्राचष्टेऽन्यः प्रचचन पटुः स प्रतीयान् व्यजेष्ट |
ग्रच्यप्येको शुवि न सेहल यस्तत्पुरे त्स्य वीथी,
ववासीदित्यप्यवितथपिद॑ ख्याति तम्मान्यमृूलय |॥२३॥
अर्य--क्ोई कहता है कि शाहं जी बहुत वड धनी ये, दरा कहता ह कि
भाप एक चतुरत्रक्ता थे तया विरोधियों को परात्त किय। । किन्तु आज तक एक
भी ऐसा यहां नहीं हुआ, जो बताता कि छोकाशाह की अहमदाबाद नगर की
किस बघली में जन्म भूसि थी । कोई सी इस दियय में सान््य प्रमाण नहीं
कहता हैँ ॥ रडे ॥
कञ्चित्कालं विमलमुनिता. तत्कृतोच्चेश्चचाल,
ग्राप्तात्ता सा यतिभिरमवरद्ेभवा5डरव লুক: |
आयुर्वेद. गशितमथवा शाकु्नं. योगशास्त्रम्,
सामुद्र वाऽ कयत यतयस्तस्यरशस्तं स्वशरभ् ।॥ २४ ॥
बथ-- -उनकी चलाई हुई शुद्ध साधुता कुछ समय तक तो अच्छी चली,
किन्तु धनो के आरम्भ समारम्भ में लीन तथा परवज्चन में प्रवीण एसे यत्तियों ने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...