ब्रह्मसूत्र के वैष्णव भाष्यों का तुलनात्मक अध्ययन | Brahmasutro Ke Vaishnav Bhashyo Ka Tulnatmak Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
436
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विज्ञप्ति
परसपुर के जन्य समी भाप्यो जी भोति वेष्णव-भाप्यों से भी परस्पर
पूत्रपाउ-सम्बन्धी कुछ भेद होने के कारण उनमें सूत्रों के क्रमाह समान रूप
से नहीं है, किन्तु यूत्र-निर्देश की निश्चयात्मकृता के लिए यह आवश्यक
हो जाता ह कि यूत्र-निर्देशक क्रमाइ में एकरूपता हो । यतः उक्त एक-
रंपता कित्ती एक ही साप्य के अनुसार यृत्राए्ु देने से लाई जा सकती है,
अतः प्रस्तुत सन्य में स्त्र देष्ण-भाप्यों में ग्राचीनतम माने जाने वाले
माप्य रामानुजभाष्य--के अनुसार यत्नाडु दिए गए है और उत्त भाप्य के
अनुप्तार ऊ्माह्ु सहित बद्धयूत्रयाठ परिशिष्ट कः में दे दिया गया है |
विद्वान् पाठकों से निवेदन हूँ कि ग्रस्तुत यन्व में जहाँ कहीं भी किसी
विशिष्ट भाष्य के नाम-निर्देश के बिना सामान्यतः पुत्र सिवा यया,
वहां उत अंक से उपरी सूत्रका निद सम ভান जो रामानुजमाप्य मेँ
उपे निर्दि हं । यदि कही क्रिी जन्य माप्य का प्ृतरह् दिया गया है
ति उसके साथ उत्त माप करा निश अनिवार्यवः कर दिया गया है |
दूसरा निवेदन यह हू कि प० ३१ पक्ति १ में गीतायंसप्रह' के स्पान
पर गातायमग्रहरक्षार और 9० १8२ एंक्ति २५ मे वल्तमः के स्थान
वलदेयः भूल ने च्पययाह तना उती प्रार् ४० २२ पंक्ति ०€ प
मत् हरि ॐर् नत प्च, ये नाम उुर छप गर्, अतः यथावत्
सं ्योधन कर उक्त स्थलों ए क्रमः गीतायंसंग्रह', 'बल्तनों और मत्त हरि,
भत् प्प पटे जाने की शपा फ्री जावे ।
---तेपफ
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