ठठोली | Thatholi

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Thatholi by ब्रजमोहन तिवारी - Brajmohan Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| | रात के समय डाक्टर साहब का टेलीफ़ोंन सहसा बज ड़ठा। डाक्टर | साद्व के एक पुराने रोगी ने.बजाया, था । रोगी बहुत परेशान था बह चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा था--“डाक़्टर साहब, मेरी वाइफ की तबियत बहुत खराव है। उसके अपेन्डिक्स से तकलीफ है। आप कृपाकर जल्दी आइये ।”? डाक्टर ने जेंभाई लेते हुए कहा--“जाओ, सो जाओ। थोड़ा छोडा गमे पानी के साथ पिला दो । क्रल देखने आउऊँगा |” इस पर पति महोदय और भी परेशान हुए। लगे चिल्ला-चिल्लाकर कहने--“वबाक्नई में उसे अपेन्डिसाइटिस है । आप तुरन्त आइये |” डाक्टर ने आश्वासन देते हुए कह्म--“डसकी अपैन्डिसाइटिस हर्गिज्ञ नहीं हो सकती । अभी तो उसे वर्ष मेने निकाली ही थी। भला किसी के दो दो अपैन्डिक्स भी हुआ करते है !” पति ने कहा--“क्या कभी आपने यह नहीं सुना कि किसी के दो पत्नियों भी हो सकती है ९” ६ 8 ২ 4 एक जगह एक सुन्दरी रूसी एक्टर स का स्वागतं किया गया । वों उससे कुछ गाने की प्राथेना की गई! जव उसे सोक्रे की कोर चीज़ समम मे न आई, वहं वोली कि मँ कुं अपनी मातृ-माषामे कहूँगी । उपस्थित समण्डली की समझ मे एक शब्द भी न आया। परन्तु वे उसके हाव-भाव और स्वर से वेहद प्रभावित हुए | तारीफ के पुल बॉध दिये गये । विदा होते समय एक महिला ने उससे पूछा--“अच्छा, यह्‌ वता दो तुमने कया गाया था १” एक्ट्रोस ने जबाब दिया--“मैंने क्रेवल एक से लेकर दो सो तीस तक की गिनती सुनाई थी, रूसी भाषा से !”? छठ छठ




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