श्री स्वामी रामतीर्थ भाग - 24 | Shri Swami Ramatirth Bhag - 24
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand):- अरणय-सम्बाद...... ११
उत्तर:- अच्छा, -तथास्तु भीः विस्मित ह कि
` यद्चपि-समस्त रुपो ( अवस्थाओ ) में हम एक नहीं हो सकते, .
- ओर तब भी हम एक हैं । |
सम्भव है कि-चगु . दश्वन-शाखः- इस को सिद्ध करने के
5 योग्य न हो, इंन्द्रियां इसे दशोने में पूरतया असहाय हो, तब
. भी यह है ऐसा ही। जब तत्त्व का अचुभव कर लिया जाता
: है; तब वाह्य-नामरूप नष्ठ हो जाता हे 1 प्रेम इसे सिद्ध करता
. है।-गग& पण०प1 आए ` वदत् ही है” “तू आप ईश्वर हे
प्रश्न/- आप ` ईश्वर को नपुंसकत्व मे क्यो संबोधित
হবে ই? क ২
`. उन्तरः- कोड इश्वर को “स्वर्गीय, पिता' करके पूजते हैं, .
आर उसे पुल्लिग नाम से संबोधित करंते हैं। कुछ लोग
: परमात्मा को दिव्य माता” करके पूजते है, उन्हें उस को संथ्री-.
- लिंज्र वाचक नाम से संबोधित करना चाहिये। अन्य लोग .. -
: इष्वर को श्रिय प्रेम-पात्र' करके पूर्जते है (जेसे फ़ार्सी कवि)।. .
अतः इंशंचर के लिये कोई भी नाम नियत. करने से पूर्व हमे .
- को यह निश्चित फेर लेना--चाहिये कि- आया इंश्वंस मिस ..
(क्वारी कन्या) हे, मिसेज़ (विवाहिता खी) दै, चा सिस्टर
- (महोदय-मलुष्य) है। :.. ग,
प्रश्नः - तय किर ईष्वर हे क्या? .. ` <
~ उत्तरः--न तो मिख दे, न मिसजञदै, न मिस्टर है, कन्तुः ..
` मिस्दी (गद्य रदस्य) ह ! „` ~ ` जी ना
User Reviews
No Reviews | Add Yours...