पुराण मत पर्य्यालोचन | Puran Mon Parjolochan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
548
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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श्वेरण नं करगे । ` प्रलुत हेतुवाद म मोहित हो कर यज्ञादि भी व्यागदेमे |
अगिः चन्न कर माकण्डेय ने इस से भी भयंकर अवध्या कलिकाल की
दिखाई है | प्राठक गण मूल में देखने का कष्ट उठाएंगे।
| ध চি
इस प्रकार प्रथम से ही यह भारत अधःपतन के अपने लक्षण “उद्भोषित
कर रहा है। और भा तुलना कांजिये |
महिला समाज का ( ४ ) रामायण* काल मे लिय कौ कितनी उच्च दशा
> अनादर थी मदिला मात्र का क्रितना मान था | करित आद्र
माव से स्ली जाति को मांठुबुद्धि से देखा जाता था। उस इश्य को स्मरण
कीजिये 4 जब हि राम के वन-वास चले जान पर भरत आर शर्नष्न मामा के
घर से लोट के आंत हैं ओर राम लक्ष्मण का वनवास देख कर माता पर কান
करते हैं | शत्रध्न ने विवश होकर मन्थरा दासी को केश से प्रकड वर स्सा
घसीटा । उसकी शर्त दशा देख कर भरत के वचन इस प्रकारं निकालते :
द शत्रध्न, स्त्रियें सत्र प्राणिमात्र मं अवध्य होती 61 अतः क्षमा करो। में
इस पाया दुष्टाचरण करने वाली केकयौ के मार दूं“, यदि धर्म-पथ पर चलने
वाला राममुझ माता के हत्यारे को बुरी दाष्टि से न देखे | यादे राधव इस कुबड़ी
की पौटठा हुक भी मुन लेगा तो धमात्मा राम मुझ से ओर तुझ से निश्चय से
भाषण भी नहीं करेगा {` + इस प्रकार भरत के बचने को सुन कर शयुभ्न इस
अकार्य करने से हट गया | *
(*) न व्र॑तानि चरिष्यन्ति बाह्मणः वेदनिन्दकाः
` ` ` न यद्यन्तिन होष्यन्ति हेतुवादविमोहिताः ॥
( + ) रमायर--श्रयो० का०, ७८ सगं `
तं प्रेय भरतः कद्ध शचुष्न मिदम मवीत् ।
अवध्याः सवं भूतानां प्रमदाः ज्षम्यंतामिति ॥
इन्यामहमिमां पापां कैकेयी दुशट्चारिणीम्। `
यदि मां धामिकी रामो नासूयेन्मात्धातकम ॥
.. इमामपि दतां कुष्जां यदि जानाति राधवः। -
ष त्वाञ्वैव বলা धम् ॥
1: ই स्य অন্য: भ्रत्वा शत्रष्नो लक्ष्मणानुजूः।
` -न्यवन्तसे तसो दोषान्तां ममोच
चस सूचितम् + ( २९
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