वस्तु विज्ञानसार | Vastu Vighyansaar

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Vastu Vighyansaar by पं. पर्मेष्ठिदास जैन - Pt. Parmeshthidas Jainश्री कानजी स्वामी - Shree Kanji Swami

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श्री कानजी स्वामी - Shree Kanji Swami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झनन्त पुरुपाथ ४ स्वय उपस्थित होते ही हैं। संलटिव ने शान से यह देसा है कि २ यने झमुक परमाणु वी काली अवस्था हैं ओर यदि निमित्त वा अभाव हाने से सयवा निमित्त के पिजम्य से थाने के कारण वर से हा तो सपा का शान गलत टहरेगा किन्तु यह मसभ्यव दे । गैस समये घस्ठ वी ना क्रमनद्ध अवस्था हानी होती है उस समय निमित्त ने दो थहहा ही नरीं सकता | निर्मित होता तो है किन्तु पद सस्ता नहीं है । थी. पुदव का निया गया ह। इसी सय जीव का सात देकर समभात है | सिसी जीव के वद्तचान प्रग८ होना हा भर गर मैं चज्जग्पमनाराचसंदनत ने हे सो देवलहान रद पायेगा ण्सी मान्यता बेल्वुन श्मनत्य एवं हृथ्टि वाले को है | जीन देय शान प्राप्स करने पे मे हे श्र गरीर मे न हो ऐसा बातो नहीं सकता | परी उपादान स्वयं सनद्ध हा व निमित्त स्वय उपस्थित दाता हो ६ | गैस समय उपादान काय स्प में परिगत हेता है उ्सी समय दूसरी वस्तु पेसित रुप उपस्थित हाती है। निमित्त बाद में आता हां मा बात नहीं है | कस संमय उपादान का काथ रेाता हैं उसी समय निंमित थी उपस्थिति भी पी ६ एसी होने पर भी के से डिसी भी सदायता असर प्रभाव मर्थवा परिवतन नरीं घरता । ये नहीं हो सकता न है।। मोर निमिन से काय दे ऐसा भा नहीं हे सकता | निन जरे रब्य से सपनों जा कमवद मवस्था लय दानी होती तंत्र भनुकुन निमित्त उपस्थित होते हैं | एसा जा स्वापीन द्रष्टि का पिय कै उसे सम्यलप्टि हो जानता दै. मिध्या्पिये। का घस्तु थी रबतश्रता है ब्रपीनिं नहीं होती इसलिय उनदी हत्टि निमिस पर लाती 1 अहानी के बस्तुस्वसप वा यथाये शान हैं इसचिय वस्तु की मत्द्ध पर्याय में शका करता है हि यह ऐसा कसे हा गया उसे सपश हे न की सौर बस्तु बी स्वतनता दी प्रतीति नहीं दे शानी वा बम्तुस्द्स्थ




User Reviews

  • Hari Shanker

    at 2018-09-27 19:55:34
    Rated : 10 out of 10 stars.
    Very good
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