सोवियत स्कूली शिक्षा की समस्याएं | Soviet School Shiksha Ki Samsyaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६२७ में खाकोव के छोर पर वच्चो के महान शुभविन्तक फलिकम
दुब्वेर्जीन्स्की * वी स्मृति में प्रनाथ बच्चो भ्ौर किशोरों के लिए एक वम्यून
स्थापित किया गया। पन्तो साकारेको से इस कम्यूद को देखरेख के लिए
प्रनुरोध किया गया।
उन्होंने बहा झाठ साल काम किया, भौर इस भवधि के दौरान उनकी
प्रणाली को व्यावहारिक रूप से लामू करे के फलस्वरूप, जिसे वह स्वय
शालीनतावश साधारण सोवियत शिक्षा प्रणाली कहते थे, दजेज्जीान्सकी कम्यून
एकं सहत समूह के साथ एक श्रादशं शंधिक रस्या मे विकसित हो गया।
गो शरम कोलोनी की भाति यहा भी उल्यादनकारी श्रम प्रर जोर
বিঘা गया, जिसका पहले के झपराधियों पर बहुत ही प्रनुकूल प्रभाव पड़ा।
सर्वप्रथम उन्होंने स्कूल की क्मशालाझों मे काम किया, जो नियमित रूप
से निर्धारित योजना के ग्रनुसार व्यवस्थित औद्योगिक कारखानों की भाति
सचालित होती थी।
उत्पादतकारी श्रम के प्रति इस गंभीर दृष्टिकोण को ्रपनां लेने के
फलस्वरूप कम्यून भार्थिक रूप में पूर्णतया स्वावलम्वी बन गया भौर घन
को बचाने से झन्ततः वहूं भपनी दो फकटरिया-एक विद्युत ड्रिल तथा
दूमरी फ़ोटो कैमरा तैयार करनेदाली-निर्मित करने भे समर्थ हो गया।
इस समय “फंद” (फंलिक्स एद्मुल्दोविच दूजेर्जीन्स्की ) ट्रेडमार्क से युक्त
इन कमरों वी ख्याति सारी दुनिया मे है।
विन्तु यह सोचना वड़ी भूल होगी कि भाकारेवों ने इस कार्य को
संगटित करे मे केवल झ्रार्थिक उद्देश्यों को भपनी दृष्टि में रखा था। उनकी
श्रक्षा-प्रणाती का संडान्तिक प्रौर विचारधारात्मक आधार शारीरिक,
मानसिक , नैतिक ओर सोौन््दर्य-वोध शिक्षा कै तालमेल के वारे मे तथा
सुसगत रूप से विकसित लोगो की शिक्षा के एक मांत साधन के रूप में
झाधुनिक उद्योग में उत्पादनकारी श्रम के साथ स्कूल को शिक्षा के समन्वय
के बारे मे माक्संवादी सिद्धान्त था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि माकारेंको
* झखिल-रूसी केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति के प्रन्तर्गत बच्चो के जीवन
को सुधारने के लिये नियुक्त कमीशन के ग्रध्यक्ष की हैसियत से फेलिक्स
द्जरेर्जीन्स्की ने परित्यकत वचक्ष्चों तथा किशोर-प्रपराधियो की दशा को सुधारने
के लिये प्रमावक्रारौ कदम उठाये भ्रौर सामान्यतया बच्चों के कल्याण में
भरपना काफी समय सरगाया।
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