पूंजीवाद का आम संकट | Punjiwad Ka Aam Sankat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)13
वे शक्षित-प्रयोग द्वारा अपने हितानुसार विश्व का पुनविभाजन बर सबते है और
साथ ही क्रातिकारी आदोलन का दमन करके साआज्यवाद की स्थिति को मजबूत
भी बना सकते हैं। लेकिन युद्ध का उल्टा नतीजा सामने आया--टसन पजी-
बादी सम्राज़ के भीतरी व बाहरी अतविरोधों का समाधान লী नहीं ही किया, उत्ट
उन्हें तीव और उग्र कर दिया। इसने भारी मात्रा में भौतिष नुकसान पिया,
विशाल मादा से मानव-जीवन की हानि की और मेहनतक्शों की गरीबी तथा
दोड़ा को उस समय चरम सीमा पर पहुँचा दिया। इसके साथ युद्ध ने इजारेदारो
को भारी मात्रा में समूह होने से सहायता भी दी । अमेरिका के पूंजीपतियों न विशेष
रूप से भारी लाभ कमाया बयोकि सैनिक सामान की बिक्री से उनके मुनाफे शाति-
काल की तुलना में तीन-चार गुनाः ज्यादा हो गये ।
पहले महायुद्ध ने पूंजीवादी अतविरोधों को बहुत अधिक बढाया अनक पंजी-
बादी देशों में क्रातिकारी विस्फोटो को जन्म दिया उत्पीडित जनभमूहों के राष्ट्रीय-
मुक्ति आदोलतो को जाग्रत किया। उस समय लेनिन ने लिखा था-- यूरोपीय
महायुद्ध एक भारी ऐतिहासिक सकट है. एक नये युग की शुर्आत है। अन्य बिसी
संकट के समान युद्ध ने गहराई में दबे विरोधों को बढा दिया है और उन्ट धरातल
के ऊपर सा दिया है। !
पहले महायुद्ध ने सूर्ण सा ब्लाज्यवादी व्यवस्था की शक्ति को कम क्या और
साम्राश्यवादी जजीर को, उसके सबसे कमजोर हिस्से पर तोडन में सहायता दी।
वास्तव मे साम्राज्यवादी व्यवस्था मे वट् कडो भोर उसके समस्त अतविरोधों का
केन्द्र-बिदु रूस सिद हुआ । बीसदी शताब्दी के आरभ में रूस समाजवादी প্রানি ক
लिए आवश्यक वस्तुनिष्ठ व आत्मनिष्ठ परिस्थितियों का उपयुक्त स्थात हा गया
था। समाजवादी भक्तूढर काति (1917) ने रूसमे समृडो दुनिया र नि
महत्त्व की ऐतिहासिक प्रक्रिया--समाजवाद द्वारा पूंजीबाद की प्रतिस्धापना की
प्रक्रिपा-->आरभ की ।
पहला महायुद्ध और महान् समाजवादी अक्तूबर श्राति ने पूंजीवाद बे आम-
संकट की शुरुआत को रेखाकित विया । पटले महायुद्ध के सबंध मे लेनिल का यह
मूल्याकन था कि सामाजिक क्रातिकी तुलना भ यह एक छोटा सक्टथा एक
पूजीवादी-साभ्नाज्यवादी सकट था । उन्होने भासन्त समाजदादो त्रानिकोबटा
सकट माना । इसका अर्थ यह है कि महान् समाजवादी अक्तूबर প্রানি ল पूँजीवादी
स्यवस्था के विनाश ओर समाजदादी-ष्यदस्या बी ओर सक्रमण के युग की शुर्मात
को
1. दो» आई खेनिन, 'मुत अंधरा्ट्रवाद ओर जोदित समाजणाद हृटरमेहनख बो দুল
इना कैसे हो सबतो है', सकलित रचताएँ, दाव 21 प्ृ० ५९ [क्ेबोते))
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