विविध दश रस संग्रह | Vividha Dash Ras Sangrah
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
675
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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সই নত ॥ ११ ॥ एक नर दान बहुविध दिये
२, आपे ऊल्मट आएि ॥ निंदे तेढनें नित्यप्रत्यें रे,
जुममुखो-ते जाण रे ॥ कमे० ॥ १४ ॥ गर्भ राल
थर रहे रे, वधे नहिं जे बाल ॥ पूरव नव तेणे आद
स्यां. रे, क्वण क्म विकराल रे ॥ क्म०॥ १३ ॥ जा
तमातज्र ते बालने रे, विवाहनी धरे शंक ॥ मारे पाड
गर्जनें रे, तेहनें शाल निःशंक रे ॥ कमे० ॥ १४ ॥
स्थानच्रष्ट नर जे ढुवे रे, पामे नहि किहां ठाम ॥
पापप्रकृति कोण तेहने रे, ते संनलावो खाम रे ॥
ऐ कसै० ॥ १५ ॥ मारग अथ जल थानके रे, इक्त
महाफल ज्ञार ॥ पशुपंखी पंथी जिहां रे, व्ये विशराम
अपार रे॥ कर्म० ॥ १६॥ कापे एहुवा इकनें रे, ते
हनें ठाम न ढोय ॥ जिहां जाये तिहां ভব জু ই,
बेसण न दिये कोय रे নথ ॥ १७ ॥ कोठ रोग
घट जेहने रे, धोल्लु थाये गात्र । मोहोटा माणस जेह
शु रे, बोले नहीं कणमात्र रे ॥ कसेए० ॥ १० ॥ लो
ये बृत्ति जे साधुनी रे, गोवध चोरी जूठ॥ कन्या ध
न जे बाबरे रे, कूलां कूंपल झुछ रे ॥ कर्म० ॥ २९८॥
खूटे खांतें ख्यालशुं रे, ते नर कोढी रे थाय ॥ कीधां
~` कमे न बूटीयें रे ॥ जब तब उःख दे आय रे॥कर्से०
लो
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