श्री श्रावकविधिः पाठ | Shri Shavakavidhi Path
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भाईचाँद नागिनभाई जवेरी-Bhaichand Naginbhai Javeri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीजेनमंदिरविधि-
श्रादक को ७ भ्रकार से शुद्ध होकर जिनमंदिरजी में प्रवेश
करना चाहिए, जो इस प्रकार---
१ मनशुद्धि--मन को मोह कषाय से रदित बनाना.
२ वचनशुद्धि- बानी को कावृ में रखना सपाप वचन-
का त्याग,
३ शरीरशुद्धि--काया को जयणापूर्वक छना जल से
स्नान कर पचिन्न बनाना,
४ वस्रशाद्वि--दर्शन करना दो तो सवांग-वस्् पहेनना,
पूजा करना दो तो घोती, उत्तरासन ओर मुखकोष पद्देनना,
जनाना को लेगा, कुडती, धोती ( ओढनी ) और मुखकोष
( बढा रुमाल ) पद्देनना चाहिए | पूजा में उठे फटे सीले मेला
कुचेला ओर उद्धट ( बेजाव अभिमानसूचक ) चस्र का त्याग.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...