श्री श्रावकविधिः पाठ | Shri Shavakavidhi Path

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Shri Shavakavidhi Path by भाईचाँद नागिनभाई जवेरी-Bhaichand Naginbhai Javeri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीजेनमंदिरविधि- श्रादक को ७ भ्रकार से शुद्ध होकर जिनमंदिरजी में प्रवेश करना चाहिए, जो इस प्रकार--- १ मनशुद्धि--मन को मोह कषाय से रदित बनाना. २ वचनशुद्धि- बानी को कावृ में रखना सपाप वचन- का त्याग, ३ शरीरशुद्धि--काया को जयणापूर्वक छना जल से स्नान कर पचिन्न बनाना, ४ वस्रशाद्वि--दर्शन करना दो तो सवांग-वस्् पहेनना, पूजा करना दो तो घोती, उत्तरासन ओर मुखकोष पद्देनना, जनाना को लेगा, कुडती, धोती ( ओढनी ) और मुखकोष ( बढा रुमाल ) पद्देनना चाहिए | पूजा में उठे फटे सीले मेला कुचेला ओर उद्धट ( बेजाव अभिमानसूचक ) चस्र का त्याग.




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