साहित्य सेवा सदन कशी | Sahitya Seva Sadan Kashi

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Sahitya Seva Sadan Kashi by गयाप्रसाद शुक्ल - Gayaprasad Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७) खान खोद्रने फा प्रबंध होने लगा 1 वुर्दानि मिज्ञाम शाह द्ितीय की बद्दधिन चांद धीयी सुलताना ने आहंग खाँ हज्शी की सहा- यता से डुगे की पूरी रच्ता की । शाही अ्रफसरों की अनवन से डुर्ग लेने में घहुत फठिनाइयों का सामना पड़ा। इन कारणों से चद छलताना के संधि प्रस्ताव करने पर सुलतान मुराद ले उसे मान लिसा। चुर्धान निज्ञाम शाह के पौच वहाडुर को निज्ञासुलूमुद्क बनाफर अहमद्नगर जागीर मैं दिया गया और चरार की बादशाह ने अपने साम्राज्य में सिल्रा लिया। इसी समय बीजापुर के खुलताम की एक बड़ी सेना जो मोतमिदुद्दीला छुद्देत खाँ सेनापति के अधीन अददमदनगर के सहायतार्थ भेजी गई थी वहाँ आ पहुँची। जब.सखुद्देल ख्नाँ वीजा- पुर फी झेना को दाहिने भाग में, गोलकुंडा की सेना को जो सहायता के लिए आई थी बाएं भाग में और शहमदनगर की सेनाको मध्यम रखकर युद्ध की तय्यारी करने लगा तव खुलतान मुराद ने ओ युद्ध की इच्छा की, परः उसके -श्रधीनस्थ सेनानियाँ ने नहीं माना । इस पर खानखानों, सिर्ज़ा शाहरुख और राजा अली खाँ शाहपुर से चलकर सुह्देल खाँ के सामने पहुँचे और आशटी के पास जो पथरी से बारह कोख परः है थोर युद्ध दुखा । यह घटना सं० १६५४ थि० से ( सन १४६७ ई० के जनवरी महीने के अंत में ) हुई थी। ख़ानदेश का. नवाव राजा अली खाँ, जो बाएँ भाग में था, बीजापुरियों से युद्ध फर पाच सर्दारों और पाँच सौ ,सैनिकों के साथ मारा गया। ख़ानखानों ओर मिर्ज़ा शाहरुख़ मध्य में थे और इन्होंने अहमदनगरः की सेना को छितिर वितिर कर दिया। হালি নী জান के फारण दोनों सेनाएँ आमने सामने पड़ी रहीं। सवेरे दोनों सेनाओं का नदी के तट पर, जहाँ सेनिकगण प्यास




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