साठ वर्ष एक रेखांकन | Sath Varsh Ak Rekhankan

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Sath Varsh Ak Rekhankan by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পা, পি मार्मिक होती थी और रत्ना च्रनदार नामद र्ता हिए में भी पीछे प्रशाशित शोती रखती री । भाई के पास सरस्वती परत्रिणा तथा वेकटेग्वर समाचार पत्र आते थे । उनके पस्तकाजय में हिन्दी, अयपेजी, संस्कृत तथा द्रजभाषा ते अनेन य्न्यये। मेरी बहन को नी साहित्य से स्वाभा- बेक अनुराग था। उसके घतलिरिकत घर मे भागपत, गीता तथा रामायरा का पाट प्राय निन्य हा বহন था। मर फूफा अत्यन्त प्रभावात्ताइदा टय से আানেশলাল হুদ हा पाठ 2 ৯ সরি जय गद्ध कन्सचालन-पूवक्त फ्रयो करत चत} ; भी-झभी फूफासी की तरह हाथ नजावर मे दैदिक मन्‍्नो की লিলা फाजा का तरत् हाव नाव र गम दादक मसन्या तान्या की ननन =नारनर मिन्न-मणली हा मनोगजन छिपा का मदत उताइंभ>र पमत्र-मण्लना पछ मनार मन्‌ (न्य সত পাস এ क, अ [न চা [र कररता वा} सयान कल परम मर्‌ सभा नात्ता तय ১২ বাসা म्न न्ट ख , ~~~ ~ ले छा आन সা --- - चन्चर भाउणा का रहा हू । स्त्र्तान जा जान डम ददन भ्‌ [य এসি ~ च क से ही था और भरवी, ताफी, घवाली, समाच चदि प्रमु [9 বলা তা শান নললণলন্গাল শল্া হা उल्तव्‌ जगन्‌ नए ~~ ~~ পাই समान ~ >~ -~------- ~~ > वर्‌ ग करट स्माह न मनाम्‌ जात थे । नानं नद चाय -न वीना था सिने क्मनाना म नत चि न त्वाना था लनम श्र কি সি नि क) वि मण्ड पटाडी ভুনাুললিল লাল লল্ন ই । नवेरि-मार শি বা (সি व কি न गः এক এ দাত उनका द्ालियां মালা ইল লুশহা দলালা দননাতনা হুশ শি £ ५ [ब > 5 रू त त्योहार के दिनो » न्मीन शस्पों मे {सदसन्न त्याहार के ददा » रग्न ললঙশা म उग्रः ष नाच-गानों या দাদ লা বা नरगान्‌ फ ए मनम रस दाता था । = च अयने मीन-~न्नेन व्ली ज च 2 = হল सवन्या पन च श्न गलिदए न [नन्वा = त ८ ॐ न य ~ ~ 42, ~= লাল श स यृला तन सर्ग्या च जर क्य ब्छाग हा = ১৮ स = = # न সি হব হল पन वर ए শাহি হু শা ठ प्रन ও রি তি 6 णल+ 32 ইল লি उनपर < [चन्र र समन रव गर ग्न रयन ण्स হি {~ কি [३ {~ ५ = क ৬ नरना गमे £ টিলনি লাল; ঈউ লী ভি লিলি ২ খত হর वदन्त रर, मन नर भरा ই উই. न 5৮৮8 १ 14 ५१ ~ 7 व পতিত উরি + তে কা রশ 2 শা পতি পাপ রে अल হুর * ১1 ৭6. বশর धवत ~ न जज ভি হবার পে রিডিতি ও




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